राेहतक: सिद्ध शिरोमणी बाबा मस्तनाथ की स्मृति में आयोजित तीन दिवसीय भव्य मेला सम्पन्न
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- Mar 08, 2025

धूनी रमाए बैठे साधु संत, विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के स्टाल व कुश्ती दंगल प्रमुख आकर्षक का रहे केन्द्र
रोहतक, 8 मार्च (हि.स.)। आठवीं शताब्दी से अध्यात्म, शिक्षा, चिकित्सा, संस्कृति के अनोखे संगम का केन्द्र रहे अस्थल बोहर स्थित श्री बाबा मस्तनाथ मठ में आयोजित तीन दिवसीय मेला शनिवार को बडे हर्षोउल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। नवमी के दिन बाबा मस्तनाथ की समाधि पर अल सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं की कतारे लगनी शुरू हो गई। देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धाओं ने श्री बाबा मस्तनाथ की स्माधि स्थल गुड और कंबल चढ़ाकर सुख स्मृद्धि की मनोकामना की।
श्री बाबा मस्तनाथ के स्वरूप महंत बालकनाथ ने श्रद्धालुओं को दर्शन देकर सुख स्मृद्धि व उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद दिया। मठ परिसर में धूनी रमाए बैठे साधु संत, विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के स्टाल व कुश्ती दंगल प्रमुख आकर्षक का केन्द्र रहे। अंतर्राष्ट्रीय पहलवानों ने अपना दमखम दिया। विजेता पहलावों को लाखों रूपये के नकद ईनाम देकर सम्मानित भी किया गया। श्रद्धालुओं ने प्रसाद के रूप में जलेबी, मिक्स सब्जी और पूड़ी का प्रसाद ग्रहण किया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सहित अन्य राज्यों से मंत्री, विधायक, सांसद सहित अन्य विशिष्टों ने भी बाबा मस्तनाथ जी की समाधि पर नमन कर लिया आशीर्वाद लिया और सुख स्मृद्धि की कामना की। दरअसल प्रत्यके वर्ष सप्तमी, अष्टमी व नवमी के दिन श्री बाबा मस्तनाथ की स्मृति में मठ परिसर में भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश-विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालुजन पहुंचते है। प्राचीन काल से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि बाबा मस्तनाथ की स्माधि पर जो भी भक्त सच्चे भाव से गुड़ और कंबल चढ़ाकर अपनी मनोकामना मांगता है बाबा उसकी हर मुराद अवश्य पूरी करते हैं।
आठवीं शताब्दी में चौरंगीनाथ जी महाराज ने बाबा मस्तनाथ मठ की थी स्थापना
श्री बाबा मस्तनाथ मठ की स्थापना आठवीं शताब्दी में परम सिद्ध शिरोमणि चौरंगीनाथ जी महाराज ने की थी। यह मठ नाथ संप्रदाय का एक प्रमुख केंद्र रहा है। कहा जाता है कि उस समय यहां से धर्म, संस्कृति और समाज के उत्थान के लिए 84 सिद्धों की पालकियां एक साथ निकला करती थीं। आज भी हरियाणा राज्य के कई गांवों में बाबा मस्तनाथ जी के सिद्ध एवं चमत्कारी स्थल पूजनीय हैं। नाथ संप्रदाय के इस ऐतिहासिक और धार्मिक मठ में हर साल लगने वाला तीन दिवसीय मेला श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का प्रतीक बना हुआ है।
हिन्दुस्थान समाचार / अनिल