उप्र सरकार ने जन-जन तक पहुंचाया टीबी अभियान, 26,891 रोगी चिन्हित

- 40 दिन में 10 हजार से ज्यादा निक्षय मित्र जुड़े

लखनऊ, 19 जनवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में चलाये जा रहे सौ दिवसीय सघन टीबी अभियान जन-जन तक पहुंच गया है। एक महीने में दस हजार से अधिक निक्षय मित्रों का अभियान से जुड़ना और मरीजों को पोषण पोटली वितरित करना इसकी गवाही है। इस अभियान में अब तक 26,891 जोखिम वाले मरीज चिंहित हुए हैं। खास बात यह है कि इसमें से 15 हजार से अधिक मरीज उन 60 जिलों से मिले हैं, जहां मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद एक जनवरी से अभियान शुरू हुआ है।

15 जिलों में मिले 11,492 मरीज

हाल ही में नगर निगम लखनऊ के पार्षदों के अभियान को समर्थन देने के वादे के बाद समुदाय के और जुड़ने की भरपूर उम्मीद है। प्रदेश भर के सभी सामुदायिक रेडियो को भी अभियान से जोड़ने की पहल हो चुकी है।

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने सराहनीय कोशिशों को समुदाय से जोड़ने की बेहतरीन पहल बताया है। उन्होंने बताया कि सात दिसम्बर से शुरू हुए इस अभियान में अब तक 26,891 टीबी मरीज खोजे गए हैं। ये सभी जोखिम वाली श्रेणी के मरीज हैं। इनमें 11,492 मरीज उन 15 जिलों में मिले हैं जहां से अभियान की शुरुआत हुई थी और 15,399 मरीज बाकी 60 जिलों में पाए गए हैं। डॉ. रतनपाल ने बताया कि इस 100 दिवसीय अभियान के दौरान जोखिम वाले समूह के तकरीबन दो करोड़ 37 लाख लोगों को कवर करने का लक्ष्य है। इसमें से 89 लाख 49 हजार 329 लोगों यानि 38 प्रतिशत आबादी की स्क्रीनिंग कर ली गई है।

सीतापुर में सर्वाधिक मरीज खोजे

महानिदेशक ने बताया कि 1,75,000 निक्षय शिविर लगाकर टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग और जागरूकता का काम किया गया। जिसमें 18,178 निक्षय शिविर 52 निक्षय वाहन द्वारा लगाए गए। औसतन प्रतिदिन 3765 निक्षय शिविर लगाए गए। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान स्क्रीनिंग के लिए 89 लाख नैट टेस्ट और 1.60 लाख एक्सरे किए गए।

राज्य क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि मरीज खोजने के मामले मे सीतापुर शीर्ष पर चल रहा है। वहां अब तक सर्वाधिक 1394 मरीज मिले हैं। दूसरे नंबर पर सिद्धार्थनगर (1085), तीसरे नंबर पर आगरा (1034), चौथे नंबर पर बस्ती (1022) और पांचवें नंबर पर रामपुर (1020) में टीबी मरीज पंजीकृत हुए हैं। सबसे कम मरीजों वाले जिलों में श्रावस्ती (42), संतरविदास नगर (49), चित्रकूट (59) व महोबा (59) मुख्य हैं।

उच्च जोखिम वाले समूह

- 60 साल से अधिक आयु के लोग - डायबिटीज एवं एचआईवी के रोगी - पुराने टीबी मरीज़ पांच वर्ष के भीतर- तीन वर्ष के भीतर टीबी मरीज़ जिनका उपचार पूरा हुआ, के सम्पर्क में रहने वाले- झुग्गी-झोपड़ियों, जेलों, वृद्धाश्रमों आदि में रहने वाले लोग- 18.5 किग्रा/मी2 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की कुपोषित जनसंख्या - धूम्रपान एवं नशा करने वाले रोगी

हिन्दुस्थान समाचार / दीपक

   

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