इविवि : बुद्ध की धरती पर कविता के अंतर्गत ’कौशाम्बी संवाद’ का हुआ आयोजन
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- May 14, 2025

-बुद्ध ने सत्य व अहिंसा को अपने आचरण में उतारा : प्रो जगदीश्वर चतुर्वेदी -बुद्ध के वचनों को सहेजना आज की पहली ज़रूरत : प्रो. राजेंद्र कुमार
प्रयागराज, 14 मई (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ, साखी, प्रेमचंद साहित्य संस्थान एवं हिंदी विभाग, इलाहाबाद के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को इविवि हिंदी विभाग के प्रो.धीरेंद्र वर्मा शताब्दी सभागार में ’बुद्ध की धरती पर कविता’ के बैनरतले “बुद्ध : कविता और सौंदर्य दृष्टि“ विषय पर एक गोष्ठी तथा वरिष्ठ कवि हरिश्चंद्र पांडे की अध्यक्षता में स्थानीय कवियों का काव्य पाठ आयोजित किया गया।
प्रथम सत्र में प्रो. लालसा यादव ने हिंदी विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से सभागार में उपस्थित लोगों का स्वागत किया। इन्होंने अपने वक्तव्य में वर्तमान समय में बुद्ध की जरूरत पर चर्चा की। कार्यक्रम की प्रस्तावना कार्यक्रम संयोजक प्रो. सदानंद शाही ने रखी। उन्होंने जीवन में बुद्ध की प्रासंगिकता पर बात की तथा कौशाम्बी संवाद के अंतर्गत अपने कार्यक्रम कार्यशाला, संगोष्ठी, कविता पाठ तथा इसके तहत अपनी आगामी योजनाओं से सबको परिचित कराया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्तव्य देते हुए प्रो. जगदीश्वर चतुर्वेदी ने विद्यार्थियों के जीवन का हवाला देते हुए बुद्ध द्वारा सत्य की खोज पर कहा कि बुद्ध ने सत्य खोजा और उसे आचरण में उतारा। बुद्ध की कविता का काव्य शास्त्र चीन में बना. बुद्ध रूढ़िवादी परम्पराओं का निषेध करने वाले थे। बुद्ध के यहां हमें सर्वाधिक बौद्धिक ईमानदारी मिलती है। उन्होंने संस्कृत की परम्परा में बुद्ध का स्थान, चीन में बौद्ध किताबों का अनुवाद तथा चीनी काव्य परम्परा में बौद्ध आलोचना, हिंदी नाट्यशास्त्र के समकक्ष बुद्ध की समकालीन नाटक आलोचना तथा हिंदी आलोचना के क्षेत्र में बुद्ध की उपस्थिति के न होने पर प्रश्न खड़ा किया। उन्होंने कहा बुद्ध के समय स्मृति को बचाने की बात मिलती है। आज हम स्मृति लोप के संकट से जूझ रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए इन्होंने बुद्ध के साथ चलने में तर्क विवेक के साथ यथार्थ की जरूरत और उसकी पहचान के महत्व को रेखांकित किया।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रो. राजेंद्र कुमार ने वर्तमान समय में स्वार्थपरक रूप से बुद्ध को याद करने की बजाय अपने अंदर के बुद्ध को पहचानने की बात कही। उन्होंने कहा कि आज के समय में बुद्ध पर बात करने के विविध आयाम है। बुद्ध के वचनों और उनके व्यवहार में लाने की बात बार-बार की जानी चाहिए। कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन डॉ. गाजुला राजू ने एवं संयोजक प्रो. संतोष भदौरिया ने उपस्थित सभी लोगों को आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।
दूसरे सत्र में इलाहाबाद के स्थानीय कवियों द्वारा वरिष्ठ कवि हरिश्चंद पांडे की अध्यक्षता में काव्य पाठ का आयोजन किया गया। काव्य पाठ की शुरुआत कवि सदानंद शाही ने अपनी कविताओं के साथ की। कविता पाठ के क्रम में शिवांगी गोयल ने ’नग्नता में नवीनता क्या है’, ’आंधी के बाद’, पत्नी की इज्जत’, ’अफ़सोस’ कवयित्री पूजा ने ’राह’, ’मौलिकता’, ’वे मुझसे अच्छा रो लेते है’, ’मनुष्यता का अभिनय’, ’कहा हुआ सब भूलती हूं’ कवि केतन यादव ने ’ईश्वर संरक्षण का गीत’, ’बुद्ध की आत्महत्या’, ’जंगल राज’, ’सुनो भंते’ नई पीढ़ी की कवयित्री कविता कादंबरी ने ’मेरी बिटिया’ व ’एलन कोटी’ कवयित्री रुपम मिश्र ने ’लाल मोहम्मद जोगी’, ’प्रेम करने की जिम्मेदारी’ डॉ. लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता ने कविता ’मगध जो डूब रहा है’ व ग़ज़ल, कवि बसंत त्रिपाठी ने ’बेरुत’ कवि विवेक निराला ने ’बुद्ध की वापसी’, ’प्रतीक’, लेखन’ शीर्षक कविताओं का तथा अशरफ़ अली बेग ने ग़ज़लों का पाठ किया।
इस सत्र में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रेमशंकर ने किया। उन्होंने कार्यक्रम के संयोजक प्रो. संतोष भदौरिया और प्रो. सदानंद साही व सत्र की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि हरिश्चंद्र पांडे का आभार व्यक्त करते हुए सभी लोगों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस सत्र का संचालन शोध छात्रा रिया त्रिपाठी ने किया। आयोजन में विशेष रुप से प्रो. प्रणय कृष्ण, शिव प्रसाद शुक्ल, हरीश चंद्र पांडे, रामजी राय, प्रियदर्शन मालवीय, नीलम शंकर, सुधांशु मालवीय, डॉ. सूर्य नारायण, अशरफ अली बेग, विवेक निराला, कल्पना वर्मा, रूपम मिश्र, प्रेमशंकर, मनोज पाण्डेय, कविता कादम्बिरी, रंजीत सिंह, रमेश सिंह, गोविन्द निषाद साथ ही बड़ी संख्या में शोध छात्र और विद्यार्थी शामिल रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र