संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करने से खेती में लागत कम और उत्पादन अधिक : डा. खलील खान

कानपुर, 30 नवंबर (हि.स.)। खेती करने में लागत कम आए और फसल अधिक हो इसके लिए संतुलित उर्वरकों का प्रयोग अवश्य होना चाहिए। यही नहीं परम्परागत की बजाय तकनीकी पद्धति से खेती किसानों की आय में वृद्धि करने की सहायक होती है। ये बातें शनिवार को मृदा वैज्ञानिक डा.खलील खान ने कृषि सूचना तंत्र के सुद्रढीकरण के अंतर्गत ब्लॉक स्तरीय कृषि गोष्ठी में कही।

कृषि विभाग द्वारा आयोजित कृषि सूचना तंत्र के सुद्रढीकरण एवं किसान जागरुकता अभियान के तहत रबी गोष्ठी का ब्लॉक स्तरीय आयोजन विकासखंड परिसर सरवनखेड़ा में आयोजित किया गया। इस अवसर पर चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिक डा. खलील खान द्वारा रबी फसलें जैसे गेहूं, जौं सरसों, चना, मटर, मसूर आदि के प्रबंधन विषय पर विस्तार से जानकारी दी गई। डॉक्टर खान ने बताया कि प्रत्येक किसान भाई को अपने खेतों की मिट्टी की जांच अवश्य कराना चाहिए। जिससे संतुलित उर्वरकों का प्रयोग हो सके तथा कृषि लागत कम आए। उन्होंने रबी फसलों में लगने वाले कीट एवं रोग प्रबंधन के बारे में भी जानकारी दी।

डॉक्टर खान ने किसानों को परंपरागत खेती के बजाय तकनीकी पद्धति से खेती करने पर जोर दिया। कृषि गोष्ठी की अध्यक्षता विमल सचान सहायक विकास अधिकारी ने की। उन्होंने किसानों से कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा बताई गई नवीन तकनीकों को जरूर अपनाएं। जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो। पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अंकुर प्रियदर्शी ने पशुओं के टीकाकरण एवं रोग प्रबंधन की जानकारी दी। क्षेत्रीय प्रगतिशील किसान अमित सिंह ने किसानों को सदैव उन्नतशील बीजों के प्रयोग अधिक उपज प्राप्त करने के लिए सलाह दी। सहायक विकास अधिकारी कृषि प्रद्युम्न यादव ने किसान हितैषी विभिन्न प्रकार की कृषि योजनाओं की जानकारी दी। इस अवसर पर कृषि विभाग के रोहित वर्मा, अजीत,मुकेश, विकास सहित प्रशासशील किसान विजय कटियार, हर गोविंद सहित अन्य क्षेत्रीय किसान उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह

   

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