हिसार : विकसित भारत के संकल्प को मजबूत करता स्वयंसेवकों का योगदान : प्रो. नरसी राम बिश्नोई

शिकारपुर में शिविर के समापन समापन समारोह में स्वयंसेवकों के साथ मुख्यातिथि कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई व डा. वंदना बिश्नोई।

शिकारपुर में विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना का शिविर हुआ सम्पन्न

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई व विश्वविद्यालय की प्रथम महिला डा. वंदना बिश्नोई

रहे शिविर के समापन समारोह पर मुख्यातिथि

हिसार, 14 फरवरी (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि युवा स्वयंसेवक ग्रामीण समाज के बीच

जाकर जब दूसरों की मदद करते हैं, तो वे स्वयं को भी व्यावहारिक रूप से जीवन की वास्तविकताओं

से जोड़ते हैं। सेवा का यह भाव उन्हें सहानुभूति,

नेतृत्व क्षमता और सामुदायिक विकास की गहरी समझ प्रदान करता है। स्वयंसेवक आत्मनिर्भर

भारत के निर्माण में योगदान देते हैं और स्वयंसेवकों का यह योगदान भारत को 2047 तक

विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को और अधिक मजबूत करता है।

प्रो. नरसी राम बिश्नोई शुक्रवार को विश्वविद्यालय

की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के सौजन्य से गांव शिकारपुर में ‘विकसित गांव-विकसित

भारत @ 2047’ विषय पर सात दिवसीय विशेष शिविर के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई व विश्वविद्यालय की प्रथम महिला डा. वंदना बिश्नोई इस

शिविर के समापन समारोह में बतौर मुख्यातिथि उपस्थित थे।

प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि स्वयंसेवक गांव में जाकर समाज की समस्याओं

को पहचान कर उनका समाधान निकालने का प्रयास करते हैं तथा भारत को सशक्त, आत्मनिर्भर

और समृद्ध बनाने का कार्य करते हैं। उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि यह सेवा भाव केवल

एनएसएस शिविर तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। सेवाभाव

से स्वयंसेवकों का आत्मविश्वास जागृत होता है तथा उन्हें कुशल प्रशासक और महान व्यक्ति

बनने का मौका मिलता है।

डा. वंदना बिश्नोई ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना का मुख्य

उद्देश्य ही ‘स्वयं से पहले आप’ है। इससे स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सेवा योजना युवाओं में गहरी संवेदना और दूसरों

के प्रति सम्मान व समर्पण का भाव पैदा करती हैं। वर्तमान भौतिकवादी युग में केवल जीवन

जीना ही चुनौती नहीं है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं को बनाए रखना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य

हो गया है। राष्ट्रीय सेवा योजना युवाओं को इस दिशा में एक नई राह दिखाती है। इस तरह

के शिविर से साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है, प्रेम की भावना जागृत होती है, शारीरिक

व मानसिक शक्ति में सुधार होता है तथा नई व्यावसायिक संभावनाओं का प्रदर्शन होता है।

उन्होंने स्वयंसेवकों द्वारा बनाए गए मॉडल की काफी सराहना की और कहा कि राष्ट्रीय सेवा

योजना ही स्वयंसेवकों को सृजनात्मक बनाती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय सेवा योजना की समन्वयक डॉ. अंजू गुप्ता ने

की। डा. अंजू गुप्ता ने बताया कि समापन समारोह के दौरान शिविर के श्रेष्ठ प्रतिभागी

विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। बेस्ट टीम का खिताब टीम-5 राखीगढ़ी को मिला। श्रेष्ठ

स्वयंसेवक समीर और अनीशा रहे। डा. विकास पुरी ने धुम्रपान से होने वाली गंभीर बीमारियों जैसे की कैंसर,

हृदय रोग, भ्रूण संबंधी आदि के बारे में अवगत करवाया। समापन समारोह में एनएसएस कार्यक्रम

अधिकारी डा. विकास, डा. सुनीता, डा. विनीता, डा. नरेंद्र, डा. कल्पना, डा. विक्रमजीत,

दलबीर व नरेश उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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