हिसार: बौद्धिक सम्पदा की सुरक्षा आर्थिक विकास के लिए आवश्यक : प्रो. नरसी राम बिश्नोई

विश्वविद्यालय के पेटेंट सेल के सौजन्य से ‘बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर)

जागरूकता-मसौदा तैयार करना और दाखिल करना’ कार्यशाला आयोजित

हिसार, 13 फरवरी (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि वर्तमान समय में दुनिया लगातार बदल

रही है। शोध और तकनीक तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में बौद्धिक संपदा की सुरक्षा वैज्ञानिकों

और आर्थिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। भारत शोध व नवाचार के क्षेत्र में ग्लोबल

लीडर बनने की ओर अग्रसर है। देश में समृद्ध नवाचार तंत्र तेजी से मजबूत हो रहा है।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई गुरुवार को विश्वविद्यालय के पेटेंट सेल के

सौजन्य से ‘बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) जागरूकता-मसौदा तैयार करना और दाखिल करना’ विषय पर आयोजित एक

दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार

में इस कार्यशाला का आयोजन हरियाणा सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निदेशालय के

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् पेटेंट सूचना केंद्र के सहयोग से किया जा रहा है।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने बताया कि भारत की ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई)

रैंकिंग में लगातार सुधार हो रहा है। भारत इस रैंकिंग मेें 2020 में मिले 48वें स्थान

से बढ़कर 2024 में 39वें स्थान पर पहुंच गया है। पिछले लगभग एक दशक में भारत में पेटेंट

संख्या भी लगभग 17 गुणा बढ़ गई है। गर्व की बात है कि गत पांच वर्षों में विश्वविद्यालय

के वैज्ञानिकों द्वारा 82 पेटेंट प्रकाशित किए जा चुके हैं। केवल 2024 में विश्वविद्यालय

के वैज्ञानिकों ने 15 पेटेंट दायर किए जबकि इसी वर्ष छह पेटेंट ग्रांट हो चुके हैं।

उन्होंने शिक्षकों व शोधार्थियों को पेटेंट दाखिल करने के लिए प्रेरित किया तथा कहा

कि विश्वविद्यालय उच्च गुणवत्ता के शोध के लिए प्रतिबद्ध है।उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय

स्तर की शोध व्यवस्थाएं हैं।

हरियाणा राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, पंचकूला के वैज्ञानिक डा. राहुल

तनेजा कार्यशाला के मुख्य वक्ता थे। डीन रिसर्च एंड डवेल्पमेंट प्रो. नीरज दिलबागी

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यशाला के संयोजक पेटेंट सेल के निदेशक प्रो.

अश्वनी कुमार तथा उप निदेशक प्रो. मीनाक्षी भाटिया मंच पर उपस्थित रहे।

डा. राहुल तनेजा ने अपने संबोधन में पेटेंट को दाखिल करने तथा पेटेंट मिलने

की प्रक्रिया को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि पहले पेटेंट मिलने में सालों

लग जाते थे जबकि अब सही प्रक्रिया अपनायी जाए तो कुछ ही महीनों में पेटेंट मिल जाता

है। उन्होंने बताया कि किसी भी तकनीक का पेटेंट 20 वर्ष तक होता है। उसके बाद वह तकनीक

सामान्य रूप से बिना अविष्कारकर्ता की अनुमति के प्रयोग की जा सकती है। उन्होंने पेटेंट

के कानूनी पहलुओं तथा उसके प्रयोग के बारे में जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि

कौन सी तकनीकों का पेटेंट लिया जा सकता है और कौन सी तकनीकों का पेटेंट नहीं लिया जा

सकता। उन्होंने राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय पेटेंट दाखिल करने के बारे में भी जानकारी

दी। उन्होंने बताया कि पेटेंट दस्ती, डाक द्वारा या ऑनलाइन भी दाखिल किया जा सकता है।

प्रो. नीरज दिलबागी ने अपने संबोधन में कहा कि अब समय आ गया है जब हमें अपनी

खुद की तकनीक को विकसित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। दुनिया के कई विकसित

देश केवल तकनीक बेचकर ही करोड़ों डॉलर कमा रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 हमें

नई तकनीकों का आविष्कार करने तथा उनका वाणिज्यकरण करने के लिए प्रेरित करती है।

प्रो. अश्वनी कुमार ने अपने स्वागत संबोधन में बताया कि हम नई तकनीकों का आविष्कार

कर उनको पेटेंट करवाकर तथा उनका वाणिज्यकरण करके समाज व राष्ट्र के निर्माण में अपना

अग्रणी योगदान दे सकते हैं। इस अवसर पर डीन फैकल्टी ऑफ मेडिकल साइंसिज प्रो. सुमित्रा

सिंह व विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील शर्मा उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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