अनुसंधान एवं विकास में योगदान केवल दिखावटी नहीं होना चाहिए : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली, 26 सितंबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कहा कि अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में योगदान केवल दिखावटी नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल वित्तीय संसाधनों की प्रतिबद्धता पर्याप्त नहीं है, किसी भी अनुसंधान का महत्व ठोस परिणामों के संदर्भ में मापा जाना चाहिए।

पूसा रोड, नई दिल्ली में 83वें सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि केवल इसलिए कि हमारे पास वित्तीय संसाधन हैं, हम इस बात पर गर्व नहीं कर सकते कि हमने अनुसंधान और विकास पर इतना खर्च किया। अनुसंधान और विकास में निवेश को ठोस परिणामों से जोड़ा जाना चाहिए।

धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि अनुसंधान और विकास सॉफ्ट डिप्लोमेसी और राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न अंग है। उन्होंने जोर देकर कहा, अनुसंधान और विकास में निवेश स्थायी है। अनुसंधान और विकास इन दिनों सुरक्षा से जुड़ गया है। इसलिए निवेश राष्ट्र के लिए है। निवेश विकास के लिए है। निवेश स्थिरता के लिए है।

उपराष्ट्रपति ने कॉरपोरेट जगत से अनुसंधान एवं विकास में अधिक निवेश करने का आह्वान करते हुए कहा कि ऑटोमोबाइल और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भारतीय कंपनियां महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। हमारे देश के आकार, इसकी क्षमता, इसकी स्थिति और विकास की गति को देखते हुए, हमारे कॉरपोरेट जगत को अनुसंधान एवं विकास में आगे आने की जरूरत है।

सीएसआईआर को वैज्ञानिक दृष्टि से कल्पनाशील राष्ट्र के लिए उत्प्रेरक बताते हुए, धनखड़ ने कहा, यह आपका स्थापना दिवस है लेकिन यह भारत की मजबूत नींव से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। आप ग्रह पर सबसे जीवंत, कार्यात्मक लोकतंत्र की नींव को मजबूत कर रहे हैं। आप एक ऐसे राष्ट्र की नींव को मजबूत कर रहे हैं जो पहले कभी नहीं देखा गया था और यह वृद्धि अजेय है।

भारत के संस्थानों में अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) के वर्तमान दृष्टिकोण के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए धनखड़ ने केवल दिखावटी सेवा के बजाय पर्याप्त योगदान की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, मैं विशेष रूप से एक पहलू के बारे में चिंतित हूं और सौभाग्य से मेरे लिए वह पहलू सीएसआईआर द्वारा एक सर्वेक्षण में सामने आया था।

उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) की स्थापना की अपील की कि मानव संसाधनों और संस्थानों में निवेश प्रामाणिक और प्रभावशाली अनुसंधान की ओर निर्देशित हो।

इससे पहले उपराष्ट्रपति ने एनएएससी कॉम्प्लेक्स में 'सीएसआईआर विषयगत प्रदर्शनी 2024' का भी उद्घाटन किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

   

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