परियोजना के आसपास जल संकट और प्रदूषण से त्रस्त ग्रामीण

गोड्डा, 19 अप्रैल (हि.स.)। ईसीएल के राजमहल क्षेत्र अंतर्गत कार्यरत मोंटे कारलो हुर्रा सी परियोजना के आसपास बसे गांवों में पानी की समस्या और पर्यावरण प्रदूषण गंभीर रूप लेता जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना शुरू होने के बाद से न केवल जल स्रोत सूखने लगे हैं, बल्कि हवा और मिट्टी भी प्रदूषित हो गई है।

हुर्रा सी परियोजना के पास स्थित गांव हर्रा, हरकट्टा, हरिपुर, पियाराम, डूमरिया आदि इलाकों में हैंडपंप और कुएं सूखने लगे हैं। कई जगहों पर पानी पीने लायक नहीं बचा है। ग्रामीणों के अनुसार पहले जहां 30-40 फीट पर जलस्तर मिल जाता था, अब 100-200 फीट तक खुदाई करने के बाद भी साफ पानी नहीं मिल रहा।

परियोजना स्थल पर हो रहे खनन और भारी वाहनों की आवाजाही से लगातार धूल और धुएं का स्तर बढ़ता जा रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों की मात्रा मानक से तीन से चार गुना अधिक दर्ज की गई है, जो कि फेफड़ों और हृदय रोगों के लिए बेहद खतरनाक है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( सीपीसीबी) और झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) के मानकों के अनुसार जल स्रोतों से 500 मीटर की दूरी पर भारी निर्माण या खनन गतिविधि प्रतिबंधित है और प्रदूषक तत्वों के प्रभाव की मासिक निगरानी अनिवार्य है।

लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि इन नियमों का पालन नहीं हो रहा। न तो समय-समय पर प्रदूषण मापन किया जा रहा है और न ही गांवों को वैकल्पिक जल स्रोत उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

जब इस मुद्दे पर परियोजना प्रबंधन से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। कुछ अधिकारियों ने अनौपचारिक रूप से माना कि “परियोजना के चलते कुछ पर्यावरणीय असर तो होता ही है, लेकिन इसे संतुलित किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों ने प्रशासन तथा प्रबंधन से हर गांव में शुद्ध पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था, प्रदूषण नियंत्रण के लिए नियमित छिड़काव और हरियाली बढ़ाने की योजना, स्वास्थ्य जांच शिविरों का आयोजन

सहित परियोजना की पर्यावरणीय ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है।

ऐसे में हुर्रा सी परियोजना क्षेत्र में विकास की गति तो तेज है, लेकिन यदि पर्यावरण और लोगों के जीवन पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है, तो यह चिंता का विषय है। यह ज़रूरी है कि सरकार और संबंधित एजेंसियां समय रहते ठोस कदम उठाएं, ताकि विकास और पर्यावरण में संतुलन बना रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / रंजीत कुमार

   

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