
मुंबई, 16 मार्च (हि.सं.)। दक्षिण मुंबई के वर्ली स्थित बीडीडी चॉल के रहवासियों को नए घर में जाने के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। म्हाडा द्वारा बनाई गई गगनचुंबी बिल्डिंग को अभी तक फायर ब्रिगेड की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं मिला है। इस वजह से 'ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट' (ओसी) भी जारी नहीं हो पाया है। इसलिए 556 बीडीडी चॉल वासियों को अप्रैल तक का इंतजार करना पड़ सकता है।
म्हाडा वर्ली के बीडीडी की 121 चॉलों का पुनर्विकास कर रही है। इस परियोजना के तहत इमारत क्रमांक 1 में आठ विंग का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इस इमारत की डी और ई विंग के 40 मंजिलों का कार्य पूरा हो चुका है. संभावना थी कि मार्च के अंत तक गुढीपाड़वा के शुभ अवसर पर 556 रहवासियों को उनके नए घर का कब्जा दे दिया जाएगा। म्हाडा ने इसकी तैयारी भी पूरी कर ली थी। लेकिन ओसी के कारण मामला लटक गया। म्हाडा अधिकारियों के अनुसार अप्रैल तक रहवासियों को घर का कब्जा सौंपा जा सकता है।
लोअर परेल स्थित एनएम जोशी मार्ग बीडीडी चॉल के पुनर्विकास का काम भी चल रहा है। यहां की 32 चॉलों के 2,560 निवासियों के पुनर्वास के लिए 14 टावरों का निर्माण प्रस्तावित है। पहले चरण में 7 टावरों का निर्माण कार्य किया जा रहा है, जिसमें से 2 बिल्डिंगों का कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा हो सकता है। इसीतरह नायगांव के बीडीडी चॉल में कुल 3,344 किराएदार रहते हैं. इनका पुनर्विकास दो चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में 21 चॉलों को खाली कराकर निवासियों को ट्रांजिट कैंप या किराए का विकल्प दिया गया है। पुनर्वास इमारत क्रमांक 1 के तहत 23 मंजिला 8 टावरों का निर्माण कार्य जारी है। इनमें से 1,401 घरों का कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
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हिन्दुस्थान समाचार / वी कुमार