ऐप बेस्ड ‘वॉटर मॉनिटरिंग मैनेजमेंट सिस्टम’ बनेगा जल प्रबंधन का आधार

-सीएम योगी के विजन अनुसार, महाकुंभ-2025 के दृष्टिगत प्रयागराज में वॉटर मॉनिटरिंग मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए जल प्रबंधन पर फोकस

लखनऊ, 18 अक्टूबर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जनवरी 2025 में शुरू होने वाले महाकुंभ को लेकर अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में तेजी ला रही है। मुख्यमंत्री योगी का विजन है कि महाकुंभ दिव्य व भव्य होने के साथ ही आधुनिक तकनीक का समावेश करते हुए नव्य स्वरूप में श्रद्धालुओं व पर्यटकों के समक्ष प्रदर्शित हो। ऐसे में, योगी सरकार द्वारा महाकुंभ मेला क्षेत्र को नवीन सुविधाओं से युक्त करने के साथ ही पूरे प्रयागराज में तमाम इनोवेशन व टेक बेस्ड इनीशिएटिव्स को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में, योगी सरकार वेबसाइट व मोबाइल ऐप बेस्ड ‘वॉटर मॉनिटरिंग मैनेजमेंट सिस्टम’ के जरिए महाकुंभ मेला क्षेत्र में जल प्रबंधन की प्रक्रिया को पूरा करने पर फोकस कर रही है।

यह मोबाइल ऐप बेस्ड वॉटर मॉनिटरिंग मैनेजमेंट सिस्टम सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के लिए निर्मित किया जाएगा जो आधुनिक सुविधाओं युक्त होगा और इसके जरिए जल प्रबंधन की विभिन्न गतिविधियों की निगरानी व पूर्ति जैसे कार्यों को पूरा कर सकेगा। मुख्यमंत्री योगी के विजन अनुसार, इस आधुनिक सुविधा युक्त ऐप बेस्ड सिस्टम के विकास व निर्माण का कार्य यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीएलसी) को सौंपा गया है।

महाकुंभ और भविष्य की जरूरतों के आधार पर होगा विकास

परियोजना के अनुसार, महाकुंभ जल निगरानी प्रणाली एक व्यापक समाधान है जो एक वेब पोर्टल और एक मोबाइल एप्लिकेशन को एकीकृत करता है जिसे विभिन्न पूर्वनिर्धारित नियंत्रण बिंदुओं पर जल स्तर की निगरानी और रिपोर्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस प्रणाली का उद्देश्य डाटा को त्वरित समीक्षा के लिए संक्षिप्त, पूर्व-संगठित प्रारूप में समेकित करना और बढ़े हुए जल स्तर, भारी वर्षा और बाढ़ जैसी स्थितियों के दौरान त्वरित निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करना है। यह प्रणाली महाकुंभ आयोजन और भविष्य की विभागीय जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण है।

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि इस प्रणाली को एफिशिएंट रिपोर्टिंग, क्विक डिसीजन मेकिंग, रोल बेस्ड एक्सेसिबिलिटी, अलर्ट व नोटिफिकेशंस, डाटा एनालिसिस व ट्रेंड मॉनिटरिंग तथा वॉटर लेवल ट्रेंड प्रेडिक्शन मैट्रिक्स से लैस किया जाएगा। वहीं, जलस्तर की निगरानी के लिए कंट्रोल प्वॉइंट्स के जीपीएस को-ऑर्डिनेट्स का डाटाबेस तैयार किया जाएगा। साथ ही, भौगोलिक स्थिति के अनुरूप नए कंट्रोल प्वॉइंट्स निर्माण के निर्माण का भी यह आधार बनेगा।

ऐप व वेबसाइट को इन सुविधाओं से किया जाएगा युक्त...

- सिक्योर रोल बेस्ड लॉग-इन, रोल स्पेसेफिक डैशबोर्ड व सिक्योर ऑथेंटिकेशन।

- नए कंट्रोल प्वॉइंट्स को बनाने के लिए जीपीएस को-ऑर्डिनेट्स का संकलन, कंट्रोल प्वॉइंट्स की रेगुलर अपडेट्स व लॉग रिपोर्ट तैयार करने में सक्षम होगा।

- ऑटोमैटिक डाटा कंपाइलेशन, कंट्रोल प्वॉइंट्स की जियो टैगिंग, समरी रिपोर्ट तथा अलर्ट व नोटिफिकेशन मैकेनिज्म से युक्त होगा।

- गूगल मैप्स के साथ इंटीग्रेशन आर्क जीआईएस तथा मैप्स पर वन व्यू डाटा की जानकारी, क्लिक एबल्ड मैप मार्कर्स व डेंजर जोन की कंप्लायंस रिपोर्ट का संकलन कर सकेगा।

- यूजर फ्रेंडली इंटरफेस, हाइपरलिंक एक्सटेंशन, ईजी नेविगेशन तथा डीटेल्ड डाटा का एक्सपोर्ट ऑप्शन उपलब्ध कराने में सक्षम होगा।

- मैप पर उपलब्ध जियोग्राफिकल फीचर्स के रोबस्ट फिल्टरिंग मैकेनिज्म को डेवलप करने में सक्षम होगा।

- कंट्रोल प्वॉइंट्स के ट्रेंड एनालिसिस व प्रेडिक्शन मैट्रिक्स लेआउट एनालिसिस के लिए ग्राफ व चार्ट का संकलन उपलब्ध कराएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिलीप शुक्ला

   

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