धमतरी : अतिक्रमण पर चला रेलवे प्रशासन का बुलडोजर

धमतरी, 2 दिसंबर (हि.स.)। रेलवे स्टेशन धमतरी के आसपास कई झोपड़ी, कच्चे-पक्के मकान का अतिक्रमण नहीं हटा था, जो बड़ी रेललाइन निर्माण में लंबे समय से बाधक बना हुआ था। पिछले दिनों आए रेलवे के अधिकारियों ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए निर्माण में लेटलतीफी का इसे बड़ा कारण बताया गया था। इसे गंभीरता से लेते हुए रेलवे के अधिकारियों ने बड़ी रेललाइन निर्माण में तेजी लाने अधिकारियों व पुलिस जवानों की सुरक्षा में दो दिसंबर की सुबह से अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाया। अतिक्रमणकारियों के करीब 90 कच्चे-पक्के मकान व झोपड़ियों को तोड़कर रेलवे ने अतिक्रमण हटाया है, अब जाकर बड़ी रेललाइन व गुड्स टर्मिनल बनाने के कार्याें में तेजी आएगी।

शहर के स्टेशनपारा वार्ड में देवार बस्ती के आसपास रेलवे के जमीन पर सालों से कब्जा कर कच्चा-पक्का मकान व झोपड़ी बनाकर रहने वाले परिवारों के अतिक्रमण पर रेलवे प्रशासन ने अब कड़ाई से बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण हटाया, तो ये सभी अतिक्रमणकारी सड़क पर आ गए, जिन्हें व्यवस्थापन नहीं किया गया था। फिलहाल ये सभी परिवार ठहरने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। हालांकि रेलवे प्रशासन ने इन अतिक्रमणकारियों को लंबे से अतिक्रमण छोड़ने नोटिस थमा रहे थे, लेकिन अतिक्रमणकारी अतिक्रमण छोड़ने तैयार नहीं थे। इन अतिक्रमित परिवारों की वजह से बड़ी रेललाइन का कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा था। कई कार्य नहीं हो पा रहा था, ऐसे में बड़ी रेललाइन वर्ष 2026 तक बनकर शुरू हो पाना कठिन था इसलिए निर्धारित समय पर बड़ी रेललाइन शुरू करने और कार्याें में तेजी लाने करीब 90 परिवारों द्वारा किए अतिक्रमण हटाया गया है। इस दौरान बड़ी संख्या में रेलवे पुलिस, राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, नगर निगम के अधिकारी -कर्मचारी उपस्थित थे। अधिकारी- कर्मचारियों की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाने बुलडोजर लाया गया था।

रोते-बिलखते रहे अतिक्रमित परिवार के लोग

जब अतिक्रमण पर बुलडोजर चला, तो अतिक्रमणकारी परिवार काफी दुखी था। कुछ परिवार के सदस्य तो रोते हुए भी नजर आए। अतिक्रमण हटाने के दौरान बिखरे सामान को एकत्र व व्यवस्थित कर रहे थे। अतिक्रमण नहीं तोड़ने गुहार भी लगा रहे थे, लेकिन अधिकारी-कर्मचारियों ने किसी की नहीं सुनी और बड़ी रेललाइन तथा गुड्स टर्मिनल के निर्माण के लिए इसे जरूरी बताते हुए बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण हटाया। स्टेशनपारा के खाली हो चुके 15 मकानों को बुलडोजर से ढहाया गया। इसके बाद आसपास के चिंहित अतिक्रमण को हटाया गया। अतिक्रमण हटाने वाली टीम ने देवार बस्ती में बसे 65 देवार एवं 25 आदिवासी और अन्य समाज के परिवारों को हटाने की हिदायत दी थी। इसके बाद वे अपने झोपड़ियों में रखे सामान, बर्तन, कपड़े और लकड़ियों को निकालकर रोते बिलखते हुए नजर आए। मालूम हो कि अतिक्रमणकारी परिवार की सुमित्रा ध्रुव, दुरपत बाई, पुष्या बाई, गंगा मंडावी, बोना साहू, सोनिया मंडावी, पिंकी मंडावी आदि ने बताया कि करीब 90 परिवार को यहां से हटाकर सोरम-भटगांव के पास खाली जमीन में रहने के लिए भेजा गया था, लेकिन वहां के ग्रामीणों ने उन्हें रुकने नहीं दिया।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

   

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