पाकिस्तान में छात्र संघ चुनाव पर प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, कानून मंत्रालय, उच्च शिक्षा आयोग, प्रांतीय सरकारों को नोटिस

इस्लामाबाद, 05 दिसंबर (हि.स.)। पाकिस्तान में छात्र संघ चुनाव पर लगे प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट की छह जजों की संवैधानिक पीठ ने दशकों पुराने प्रतिबंध को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। पीठ ने कानून मंत्रालय, उच्च शिक्षा आयोग (एचईसी) और प्रांतीय सरकारों को नोटिस जारी कर उन्हें अगली सुनवाई में अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

डॉन समाचार पत्र के अनुसार, बैरिस्टर जफरुल्लाह खान और बैरिस्टर उमर इजाज गिलानी के माध्यम से आईजेटी ने दोनों याचिका दायर की हैं। इनमें एक याचिका एलयूएमएस के छात्र नेता हमजा ख्वाजा की है। याचिकाओं में कैंपस हिंसा पर अंकुश लगाने के बहाने छात्र राजनीति पर प्रतिबंध लगाने वाले 1993 के फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया गया।

याचिकाओं में दावा किया कि छात्र राजनीति पर प्रतिबंध अनुच्छेद 17 के जरिए गारंटीकृत संघ बनाने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। तर्क दिया गया है कि 1993 के फैसले के बाद से संवैधानिक संशोधनों ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी है। एक छात्र, जो कानूनी रूप से वोट देने का हकदार है, को संघ बनाने या राजनीतिक संघ के अन्य रूपों में हिस्सा लेने से कैसे रोका जा सकता है। यह भी कहा गया है कि कैंपस राजनीति लोकतांत्रिक मूल्यों के पोषण और भविष्य के नेतृत्व को विकसित करने का माध्यम है। दलील दी गई है कि यह मामला सार्वजनिक महत्व का है, क्योंकि प्रतिबंध पूरे देश में छात्रों को प्रभावित करता है। इस बीच, संवैधानिक पीठ ने चुनाव अधिनियम 2017 में संशोधनों के पूर्वव्यापी कार्यान्वयन के लिए पीटीआई की चुनौतियों पर सुनवाई स्थगित कर दी।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद

   

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