सुंदरबन में  500 हेक्टेयर क्षतिग्रस्त मैंग्रोव को फिर से संजीवित करने की पहल

कोलकाता, 05 नवंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में चार 500 हेक्टेयर क्षेत्र में क्षतिग्रस्त मैंग्रोव को पुनर्स्थापित करने के लिए एक परियोजना शुरू की गई है, जो निजी क्षेत्र के समर्थन से संचालित हो रही है। इस परियोजना का उद्देश्य सुंदरबन के गांवों में आर्थिक अवसरों को बढ़ाना और स्थानीय लोगों के लिए स्थायी आजीविका का साधन बनाना है।

परियोजना के सहयोगी, इकोएक्ट और मीनसौ इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी दक्षिण 24 परगना जिले के पुनर्स्थापन स्थलों का दौरा कर रहे हैं और स्थानीय समुदायों से संवाद कर रहे हैं। यह परियोजना वैरिफाइड कार्बन स्टैंडर्ड (वीसीएस) कार्यक्रम के तहत संचालित की जा रही है, जो ग्रीनहाउस गैसों को कम करने की वैश्विक मान्यता प्राप्त प्रणाली है।

इकोएक्ट के प्रोजेक्ट डेवलपमेंट प्रमुख, स्टीफेन ट्रोमिलिन ने कहा, सुंदरी मैंग्रोव परियोजना 4,500 हेक्टेयर क्षतिग्रस्त मैंग्रोव को पुनर्जीवित करने का प्रयास है, जो यह दिखाता है कि कार्बन वित्त कैसे प्रभावी जलवायु संरक्षण को प्रोत्साहित कर सकता है, जब इसका लाभ सीधे समुदायों तक पहुंचता है। उन्होंने अन्य कंपनियों से भी इस परियोजना में निवेश करने का आग्रह किया ताकि उनके टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को भी बल मिल सके।

स्थानीय पंचायत के सदस्य स्वपन मैती ने कहा, पीढ़ियों से हम अपनी आजीविका के लिए इन मैंग्रोव पर निर्भर हैं -मछली पकड़ना, तूफानों से सुरक्षा, और रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना। लेकिन हम साल-दर-साल इन्हें कम होते देख रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह परियोजना मैंग्रोव को फिर से संजीवित करेगी और हमारे घरों की सुरक्षा करेगी।

इस परियोजना के तहत अगले 20 वर्षों में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। वैज्ञानिक पद्धतियों के तहत बहाली का कार्य हो रहा है और इसमें पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से शामिल किया गया है। परियोजना से होने वाले लाभों को स्थानीय विकास के लिए कैसे खर्च किया जाएगा, इस पर भी स्थानीय समुदाय को निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है।

मीनसौ इंडिया के सीईओ और एमडी, सौम्य दर्शन प्रधान ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल स्थानीय समुदायों का समर्थन करना है ताकि वे अपने मैंग्रोव पुनर्स्थापन के लक्ष्य को हासिल कर सकें। मीनसौ भारत में कार्बन ऑफसेट और क्रेडिट परियोजनाओं का विकास कर रहा है जो सामाजिक क्षमता निर्माण, आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देता है।

इस पहल से रॉयल बंगाल टाइगर सहित सुंदरबन के लगभग एक हजार 400 प्रजातियों के निवास स्थानों को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी। परियोजना में 19 प्रजातियों के देशज मैंग्रोव पौधों का रोपण किया जा रहा है ताकि इस क्षेत्र की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सके और हजारों घरों को कटाव व आपदा से बचाया जा सके।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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