गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत बोले- मानव को मानव बनाने का सर्वश्रेष्ठ कर्म है यज्ञ

- देसंविवि के मृत्युंजय सभागार में देवसंस्कृति व्याख्यानमाला का आयोजन

हरिद्वार, 04 अक्टूबर (हि.स.)। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि महान वह होता है जो दूसरों को अपना बना लेता है और स्वयं भी उनका हो जाता है। भारतीय संस्कृति की यही पहचान है।

वे देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में आयोजित देवसंस्कृति व्याख्यानमाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि गायत्री परिवार व देसंविवि द्वारा विश्व कल्याण और मानवता की दिशा में जो कार्य किया जा रहा है, इससे संस्कारवान व विकसित भारत का सपना पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कर्म यज्ञ है। यह सम्पूर्ण जीवन दर्शन है। मानव को मानव बनाने का मार्ग भी यही है। राज्यपाल विद्यार्थियों से प्रश्नोत्तरी के माध्यम से जुड़े और उन्हें प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया।

डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि भक्ति और शक्ति से ही हम संस्कृति को पोषित कर सकते हैं। मानवता की रक्षा के लिए भारतीय अपना बलिदान करते आए हैं। इस परंपरा को हमें अपनाना चाहिए। युवा आइकान ने कहा कि भारत जागरण की प्रतीक्षा कर रहा है। इसके लिए हम सभी को जागना होगा।

इस अवसर पर राज्यपाल ने विभिन्न पत्रिकाओं का विमोचन किया। प्रतिकुलपति डॉ. पण्ड्या ने राज्यपाल को प्रतीक चिह्न, रुद्राक्ष माला आदि भेंटकर सम्मानित किया। समाज में भारत को व्यसन मुक्त एवं सत्प्रवृत्ति संवर्धन के लिए सामूहिक संकल्प लिए गए। वहीं श्रीराम शर्मा आचार्य रचित काव्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त शिवानी कपिराज, द्वितीय वर्णिका आर्य और तृतीय विजय धनौला को राज्यपाल ने प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मानित किया।

इससे पूर्व राज्यपाल देवव्रत व उनकी धर्मपत्नी दर्शना देवी का देसंविवि पहुंचने पर प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। राज्यपाल ने देसंविवि में स्थित बाल्टिक सेंटर, स्वावलंबन कार्यशाला आदि प्रकल्पों का निरीक्षण किया। देवव्रत ने सपरिवार देसंविवि स्थित प्रज्ञेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना कर राष्ट्र की सुख-शांति की प्रार्थना की। उन्होंने देश रक्षा में अपना सर्वस्व आहुत कर देने वाले वीरों की याद में बने शौर्य दीवार पर पुष्पांजलि अर्पित की। व्याख्यानमाला में देसंविवि व शांतिकुंज परिवार और गुजरात प्राकृतिक खेती विज्ञान विवि, गुजरात के कुलपति डॉ. सीके टिम्बालिया आदि उपस्थित थे।

इसके उपरांत देवव्रत सपरिवार शांतिकुंज पहुंचे, जहां अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख शैलदीदी से भेंट किया और विभिन्न विषयों पर चर्चा की। इस दौरान प्रमुखद्वय ने देवव्रत व उनकी धर्मपत्नी दर्शना देवी का तिलक एवं युग साहित्य आदि भेंट कर सम्मानित किया। वहीं राज्यपाल ने गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि द्वय की समाधि में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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