बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें केंद्र सरकार : रवींद्र पुरी

- ऋषिश्वरानंद बोले, भारत से बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर करें सरकार

हरिद्वार, 08 दिसंबर (हि.स.)। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमंहत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा है कि संत महापुरुष सनातन संस्कृति की रीढ़ है, जिन्होंने विश्व पटल पर भारत की सांस्कृतिक विरासत और सनातन धर्म को संजो रखा है। बांग्लादेश में सनातन हिंदू धर्मावलंबियों को निशाना बनाकर कत्ले आम किया जा रहा है। भारत सरकार को इसका पुरजोर विरोध करना चाहिए और बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

भूपतवाला स्थित श्रीचेतन ज्योति आश्रम में रविवार को आयोजित संत समागम के दौरान श्रीमंहत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि सोची समझी साजिश के तहत हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। संत समाज इसे कत्तई बर्दाश्त नहीं करेगा। बांग्लादेश में अगर हिंदुओं पर आक्रमण नहीं रुकता है तो सरकार को बांग्लादेश पर त्वरित कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।

श्रीचेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद एवं बाबा हठयोगी ने कहा कि सनातन धर्म शांतिप्रिय एवं सभी धर्मों का सम्मान करने वाला है। संत समाज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मांग करता है कि इस मामले को गंभीरता से लेकर बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाएं।

सनातन धर्मभूषण स्वामी राजराजेश्वर एवं पूर्व आईपीएस डीजी वणजारा ने कहा कि बार-बार लगातार मात्र सनातन धर्म को ही निशाना बनाया जाता है। कट्टरपंथी ताकते अपने मंसूबों में कभी कामयाब नहीं हो पाएंगी। धर्म की रक्षा के लिए संतों ने हमेशा आवाज बुलंद की है। बांग्लादेश में मानवता के खिलाफ जो घिनौना कृत्य हो रहा है। संपूर्ण समाज इसका पुरजोर विरोध करता है। योगी आशुतोष एवं स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों को तत्काल प्रभाव से भारत सरकार बाहर करें। सनातन हिंदू धर्म की रक्षा के लिए संत समाज किसी भी प्रकार के आंदोलन से भी पीछे नहीं हटेगा। इस अवसर पर महंत शिवम, सुतिक्षण मुनि, महंत दिनेश दास, स्वामी ज्योतिर्मयानंद, अविरल जोशी, श्रवण कुमार पांडेय, अनिल जोशी ने भी अपना विरोध जताते हुए बांग्लादेशी अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा की मांग की है।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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