सुप्रीम कोर्ट ने BLOs को दी राहत:कोर्ट ने कहा- केस-टू-केस बेसिस पर SIR में छूट मिले, राज्य गर्भवती या बीमार कर्मचारियों की ड्यूटी न लगाएं
- Admin Admin
- Dec 05, 2025
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो BLO मेंटल या फिजिकल हेल्थ की वजह से SIR का काम नहीं कर पा रहे हैं उनकी जगह राज्यों को दूसरे BLO नियुक्त करने चाहिए। दरअसल, 9 राज्यों में SIR यानी स्पेशन इंटेंसिव रिविजन जारी है। इस बीच कई राज्यों से BLO की मौत की खबरें आ रही हैं। ऐसे में BLOs पर काम के भारी दबाव को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। इस मामले में तमिलनाडु की पॉलिटिकल पार्टी TVK ने एक पेटीशन दायर की थी। पेटीशन में कहा गया कि BLOs पर काम के भारी दबाव के बावजूद इलेक्शन कमीशन ने उन पर केस दर्ज किए हैं। कई BLOs ने कथित तौर पर काम के दबाव के चलते सुसाइड भी किया है। BLO का काम कौन करेगा यह राज्य सरकार का फैसला- SC कोर्ट ने कहा कि इलेक्शन कमीशन यह फैसला नहीं ले सकता BLO का काम कौन करेगा। यह राज्य सरकार सुनिश्चित करें कि जिन लोगों को BLOs के तौर पर ड्यूटी लगाई गई है, वो लोग वह काम करने के लिए फिट हैं भी या नहीं। एक बार राज्य सरकार की ओर से कर्मचारियों को इलेक्शन कमीशन को दे दिया जाए, तो इसके बाद वो काम करने के लिए बाधित हो जाते हैं। उन्हें दूसरे राज्यों में नहीं भेजा जा रहा, जैसा कि पहले होता था। अगर कुछ कर्मचारियों को SIR का काम करने में समस्या आ रही है तो राज्य सरकार को उनकी जगह दूसरे कर्मचारियों को लगाना चाहिए। 9 राज्यों में शुरू हुआ SIR, 26 BLOs ने जान दी 27 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत देशभर के 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन कराने की घोषणा की। 9 राज्यों यानी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गोवा, तमिलनाडु, केरल और गुजरात के साथ 3 केंद्र शासित प्रदेशों यानी निकोबार, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में 4 नवंबर से प्रक्रिया शुरू हो गई। गणना पत्र यानी फॉर्म भरकर, जमा करने और उन्हें डिजिटली अपलोड करने के लिए दिसंबर तक का समय दिया गया है। हालांकि रविवार को SIR की प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा 7 दिन से बढ़ा दी गई है। BLO यानी बूथ लेवल ऑफिसर्स को घर-घर जाकर यह प्रक्रिया पूरी करनी है। गांव से 8-10 किमी. दूर ड्यूटी, स्कूल खाली उत्तर-प्रदेश में काम कर रहे BLOs का काम 2003 की वोटर लिस्ट को 2025 की वोटर लिस्ट से मिलान करने का है। इसके अलावा युवा और घर की बहुएं जो 2025 की लिस्ट में हैं और 2003 की लिस्ट में नहीं थी, उनका वेरिफिकेशन भी करना है। कुछ टीचर्स जो BLO के तौर पर काम कर रहे हैं उन्होंने बताया, ‘आमतौर पर जिस गांव में हमारी ड्यूटी होती है, वहां के बच्चों के जरिए हम उनके परिवारों को जानते हैं। इस तरह वहां की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति के बारे में भी पता होता है। ऐसे में जब सर्वे का काम हमें दिया जाता है तो आसानी से हो जाता है। लेकिन इस बार हमें हमारी ड्यूटी की जगह से 8-10 किलोमीटर दूर BLO नियुक्त किया गया है। ऐसे में हमारा काम बहुत मुश्किल हो गया है क्योंकि इन जगहों के बारे में हम बहुत कुछ नहीं जानते।’ इस तरह की समस्याओं के अलावा BLOs को गणना पत्र यानी फॉर्म दिए गए हैं जिन पर स्कैनर लगाया है। उन्हें कहा गया है कि इन फॉर्म को लोगों को दे दीजिए और लोगों से भरे हुए फॉर्म कलेक्ट करके उन्हें स्कैन कर अपलोड करना है। यहां भी समस्या है। जागरूक और पढ़े-लिखे लोगों के लिए तो फॉर्म भरना आसान है, लेकिन जो लोग इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते, उनके फॉर्म में एक-एक डिटेल खुद BLO को भरनी पड़ती है। कई घरों में फॉर्म को कहीं भी रख दिया जाता है, जिससे वो गंदा हो जाता है और उसे स्कैन करने में समस्या होती है। ऐसे में BLO को खुद ही फॉर्म भरना पड़ता है। हर दिन 100 फॉर्म का टारगेट, पूरा न होने पर धमकी हर BLO को दिन में 100-100 फॉर्म कलेक्ट कर उन्हें डिजिटली अपलोड करने का टारगेट शुरू में दिया गया जिसे बीच में बढ़ाकर 200 फॉर्म भी कर दिया गया। इसके अलावा कई BLOs की शिकायत यह भी है कि उन्हें इस काम के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है। फॉर्म को स्कैन करना, डिजिटली अपलोड करने जैसे काम के लिए प्रॉपर ट्रेनिंग की जरूरत थी जो नहीं दी गई। कई 40 से ज्यादा उम्र के लोगों को शुगर और बीपी जैसी बीमारियां हैं। इनके लिए लंबी शिफ्ट में काम करके टारगेट पूरा करना बहुत मुश्किल है। लेकिन इन्हें भी कोई रियायत नहीं दी गई है। BLOs का आरोप है कि प्रधान या प्रधान सचिव कोई उनकी मदद नहीं करता। SDM के पास जाने पर वो सिर्फ नौकरी से निकालने या केस करने की धमकी देता है। उत्तर प्रदेश में टीचर्स की आवाज उठाने वाले बहुजन शिक्षक संघ से जुड़े एक टीचर ने बताया, ‘मेरा छोटा भाई BLO के तौर पर फिलहाल काम कर रहा है। घर की शादी में भी नहीं आ सका। रविवार के दिन भी काम कर रहा है। रात में 10-12 बजे उससे फोन पर अपडेट मांगा जाता है। सोने का भी चैन नहीं है। समय-समय पर FIR करने और नौकरी से निकाले जाने की धमकी देते हैं। सरकारी कर्मचारी को नौकरी जाने का डर दिखाकर और ज्यादा दबाव बनाया जाता है।’ उन्होंने आगे बताया कि SIR को लेकर न तो लोगों को जागरूक किया गया है और न ही BLOs को किसी तरह की ट्रेनिंग दी गई है। ऐसे में प्रेशर दोगुना हो गया है। कई टीचर्स काम समझ न आने के चलते परेशान हैं। ऐसी ही और खबरें पढ़ें... देहरादून में 7 साल बाद छात्रा को मिला इंसाफ:कोच ने 9वीं की छात्रा से कहा- मैं तुम्हें गर्म कर दुंगा, कोर्ट ने सुनाई 5 साल की सजा देहरादून की POCSO अदालत ने एक स्विमिंग कोच को 5 साल की जेल की सजा और 20 हजार रुपए जुर्माना भरने की सजा सुनाई है। दिसंबर 2018 में कोच ने राजपुर के बोर्डिंग स्कूल में 9वीं क्लास की लड़की के साथ छोड़छाड़ की थी। पूरी खबर पढ़ें...



