भू-राजनीतिक संकटों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत : प्रो बी वी सिंह

--आर्थिक समृद्धि की दर में बढ़ोत्तरी अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक

प्रयागराज, 01 दिसम्बर (हि.स.)। कोविड के बाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार प्रभावित हुआ है, परन्तु भारत में कई बड़े सुधार हुए। जैसे श्रम कानूनों में सुधार, जीएसटी सुधार, प्रत्यक्ष करों में सुधार इत्यादि। इनसे भारतीय अर्थव्यवस्था की गति बढ़ी है और निवेश का माहौल बेहतर हुआ है। आर्थिक समृद्धि की दर में बढ़ोत्तरी अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है। यह बातें बतौर मुख्य वक्ता प्रोफेसर भूपेंद्र विक्रम सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने कही।

जेके मेहता व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत, अर्थशास्त्र विभाग, ईविंग क्रिश्चियन महाविद्यालय की ओर से “वैश्विक चुनौतियां और भारतीय अर्थव्यवस्था“ विषय पर सोमवार को आयोजित व्याख्यान में प्रोफेसर सिंह ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ वार से भारतीय अर्थव्यवस्था और मजबूत बनकर उभरी है। क्योंकि इससे रुके हुए आवश्यक सुधार संभव हो सके और अर्थव्यवस्था का विविधीकरण हुआ। दुनिया इस समय कई भू-राजनीतिक संकटों से गुजर रही है, लेकिन भारतीय अर्थ व्यवस्था मजबूत है।

विशिष्ट वक्ता डॉ नृपेंद्र कुमार मिश्रा, प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग बीएचयू ने कहा कि भारत में विभिन्न क्षेत्रों का विकास एक उल्टे क्रम में हुआ है। सेवा क्षेत्र पहले तेज़ी से बढ़ा, मैन्युफैक्चरिंग पीछे रह गया। लोगों की खरीदने की क्षमता तो बढ़ रही है, लेकिन आपूर्ति नहीं बढ़ी, तो मांग बढ़ने का लाभ अर्थव्यवस्था नहीं उठा पाएगी। इसके लिए भारत को विनिर्माण क्षेत्र में बड़ी छलांग लगानी होगी। प्रो मिश्रा ने कहा कि भारत का जनसांख्यिकीय लाभ 2035 तक समाप्त होने लगेगा। अभी तक भारत अपने युवा बल का पूरा उपयोग नहीं कर पाया है। क्योंकि कौशल विकास, रोजगार और स्टार्टअप में निवेश कम है। भारत का घरेलू बाजार बड़ा है, तो भारत अपने ही बाज़ार से विकास की गति पकड़ सकता है। इसके लिए विविधीकरण, घरेलू मांग पर ध्यान देना जरूरी है।

विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर राकेश रमन, अर्थशास्त्र विभाग बीएचयू ने कहा कि भारत की वृद्धि में कृषि का बड़ा योगदान है, लेकिन सिर्फ कृषि पर भरोसा करके भारत सतत विकास हासिल नहीं कर सकता। भारत ने कई क्षेत्रों में पुराने चरणों को छोड़कर सीधे आधुनिक तकनीक पर आगे बढ़ गया है। डिजिटल भुगतान, स्टार्टअप और नई तकनीक में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है, लेकिन यह रणनीति तभी सफल होगी जब अन्य क्षेत्र भी इसके साथ सामंजस्य बनाएं। प्रो रमन ने कहा कि भारत में सेवा क्षेत्र तेज़ी से बढ़ा है, लेकिन यह विकास आईटी क्षेत्र पर ज़्यादा निर्भर है। सेवा क्षेत्र के बाकी हिस्सों में उतनी वृद्धि नहीं दिख रही। इस तरह का विकास लंबे समय में टिकाऊ नहीं है। उन्होंने भारत की रोजगार स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। देश में औपचारिक शिक्षा वाले लोगों में केवल 50 प्रतिशत ही रोजगार योग्य माने जाते हैं। यानी डिग्री है, लेकिन कौशल की कमी है।

कार्यक्रम का संचालन एवं विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष प्रो उमेश प्रताप सिंह ने किया। कार्यक्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर किरण सिंह, प्रो विवेक कुमार निगम, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ भारतेंदु चतुर्वेदी, डॉ प्रदीप कुमार सिंह, पूर्व ऑक्टा अध्यक्ष डॉ राम प्रकाश सिंह, डॉ वेद मिश्रा, डॉ मनीष गोस्वामी, डॉ गजराज पटेल, तनया कृष्ण सहित अनेक शोध छात्र एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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