नेपाल के सत्तारूढ़ दलों में चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन समझौते पर मतभेद 

काठमांडू, 1 नवंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के प्रस्तावित चीन दौरे को लेकर नेपाल के सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दलों में ही विवाद पैदा हो गया है। ओली के इस दौरे में चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव (बीआरआई) के कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर करने का दबाव है। नेपाल सरकार ने संकेत दिए गए हैं कि प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किया जा सकता है।

सत्तारूढ़ गठबंधन की प्रमुख सहयोगी नेपाली कांग्रेस के कई नेताओं ने बीआरआई कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर का विरोध किया है। पिछली प्रचंड सरकार में विदेश मंत्री रहे नेपाली कांग्रेस के नेता एनपी साउद ने शुक्रवार को कहा कि बिना राष्ट्रीय सहमति के ही इस समझौते पर हस्ताक्षर करना ठीक नहीं है। सरकार को खास कर प्रधानमंत्री ओली को इसके लिए पहल कर इस पर राष्ट्रीय सहमति बनाने का प्रयास करना चाहिए। जिन बातों पर पहले असहमति थी उन बातों का समाधान किए बिना समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए।

नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता तथा पूर्व वित्त मंत्री प्रकाश शरण महत ने कहा कि ओली के साथ गठबंधन बनने के साथ ही पार्टी का आधिकारिक निर्णय था कि बीआरआई के वर्तमान प्रावधान में परिवर्तन के बिना इसके कार्यान्वयन पर हस्ताक्षर नहीं किया जाएगा। बीआरआई को लेकर चीन के रुख में कोई अंतर नहीं आया है इसलिए नेपाली कांग्रेस इस परिस्थिति में हस्ताक्षर करने का समर्थन नहीं कर सकती है।

नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शेखर कोइराला ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री ने गठबंधन दलों के बीच सहमति के बिना ही बीआरआई के कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर किया तो इसका सीधा असर गठबंधन पर पड़ सकता है। जितनी महंगे दर पर चीन बीआरआई प्रोजेक्ट को ऋण देता है उसके लिए नेपाल तैयार नहीं है। विश्व बैंक या एशियाई विकास बैंक की तरह अगर चीनी ऋण का ब्याज प्रतिशत रहता तो इस बारे में एक बार विचार किया जा सकता है लेकिन कई देशों को अपने ऋण जाल में फंसा चुके चीन नेपाल को भी अपने जाल में फंसाना चाहता है जिसको लेकर नेपाल सतर्क है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास

   

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