बंगाल के नए लोकायुक्त के तौर पर सेवानिवृत्त न्यायाधीश रवीन्द्रनाथ सामंता के नाम की सिफारिश
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- Dec 01, 2025
ममता की अध्यक्षता में आयोजित बैठक का शुभेंदु ने किया बहिष्कार
कोलकाता, 01 दिसंबर (हि. स.)।
पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को नये लोकायुक्त के तौर पर सेवानिवृत्त न्यायाधीश रवीन्द्रनाथ सामंता के नाम की सिफारिश की। यह फैसला नवान्न में हुई वार्षिक वैधानिक बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की। बैठक में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी उपस्थित नहीं थे। यह लगातार चौथा वर्ष है जबनेता प्रतिपक्ष ने इस बैठक का बहिष्कार किया।
न्यायमूर्ति सामंता जून 2023 में कलकत्ता उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए थे। वे न्यायमूर्ति असीम कुमार रॉय का स्थान लेंगे, जो नवम्बर 2018 से लोकायुक्त थे और 2023 में दो वर्ष का विस्तार मिलने के बाद अगस्त 2025 तक इस पद पर बने रहे। औपचारिक नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी, जिसके बाद नये लोकायुक्त शपथ ग्रहण करेंगे।
शुभेंदु अधिकारी ने पहले ही साफ कर दिया था कि वे बैठक में नहीं बैठेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि “एक भ्रष्ट सरकार” के साथ बैठना उनके लिए “नैतिक रूप से असंभव” है।
मालदा में भाजपा सांसद खगेन मुर्मू पर हमले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि “जब किसी सांसद को खून से लथपथ कर दिया जाता है, तब सत्ता पक्ष के साथ बैठने का कोई औचित्य नहीं बचता।”
नन्दीग्राम विधायक ने सरकार को भेजे पत्र में यह भी कहा कि राज्य सरकार “बार-बार संवैधानिक मर्यादा तोड़ रही है” और उनकी मौजूदगी “ग़ैर-संवैधानिक प्रक्रिया को वैधता देने” जैसी होगी।
इधर तृणमूल की ओर से इसे “राजनीतिक दिखावा” बताया गया।
तृणमूल के एक वरिष्ठ विधायक ने कहा कि विपक्ष भ्रष्टाचार पर लड़ाई की बात करता है, लेकिन लोकायुक्त जैसी महत्वपूर्ण नियुक्ति की बैठक से दूरी बनाता है। एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि वैधानिक समितियों में हिस्सा लेना संवैधानिक कर्तव्य है, किसी पर एहसान नहीं।
अधिकारियों के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष की अनुपस्थिति के बावजूद समिति ने पूरी प्रक्रिया के तहत न्यायमूर्ति सामंता के नाम को मंजूरी दे दी और जल्द ही इसकी औपचारिक अधिसूचना जारी होगी।
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कैसा रहा है न्यायमूर्ति सामंता का कार्यकाल
न्यायमूर्ति सामंता का कार्यकाल तीन दशकों से अधिक लम्बा रहा है। वे उच्च न्यायालय में पदोन्नति से पहले महत्त्वपूर्ण मजिस्ट्रेट और जिला दायित्व निभा चुके हैं, कोलकाता उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार रहे हैं तथा सिटी सिविल कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रहे। वर्तमान में वे पश्चिम बंगाल रियल एस्टेट अपीलीय अधिकरण के अध्यक्ष हैं।
राज्य में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण, बूथ स्तर अधिकारियों पर कथित दबाव और राजनीतिक हिंसा की हालिया घटनाओं के कारण राजनीतिक तनाव पहले से ही चरम पर है। ऐसे माहौल में शुभेंदु अधिकारी का बहिष्कार आने वाले 2026 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक तापमान और बढ़ा रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / गंगा



