नैनीताल : नौकाओं की मरम्मत करने वाले खड़क बन गए गायक, कुमाऊंनी गीत ने दिलाई नई पहचान 

नैनीताल, 05 दिसंबर (हि.स.)। आदमी के शौक उसे कहां से कहां पहुंचा देते हैं। यदि मन में दृढ़ इच्छा हो, तो मंजिल भी आसान हो जाती है। ऐसी ही प्रेरक कहानी है नैनीताल में नाव बनाने वाले खड़क सिंह चौहान की, जो अब गायक भी बन गए हैं।

मूल रूप से अल्मोड़ा जिले की भनौली तहसील के राजा गांव के निवासी स्व. धन सिंह चौहान के पुत्र खड़क सिंह चौहान ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकीय इंटर कॉलेज भेटा बडोली से पूरी की। बचपन में पढ़ाई के साथ वह लकड़ी के काम में भी रुचि रखते थे। बाद में वह रोजगार की तलाश में हरियाणा चले गए, जहां उन्होंने 20 वर्षों तक होटल में कार्य किया। इस दौरान गर्मी के सीजन में नैनीताल लौटकर वह नावों के निर्माण और मरम्मत का कार्य भी करते रहे। बचपन से ही खड़क सिंह को गाने लिखने और गाने का शौक था, लेकिन व्यस्तताओं के कारण यह शौक पूरा नहीं हो पाया।

खूब पसंद किया जा रहा कुमाऊंनी गीत- उड़ कबूतर जा...

अक्टूबर 2024 में खड़क सिंह ने अपने सपने को साकार करते हुए एक कुमाऊंनी गीत “उड़ कबूतर जा जा मेर चिट्टी ली जा दे, आली तो उ बुला लाए, न आली मेरी चिट्टी दी आये” लिखा और हल्द्वानी के नंदा स्टूडियो में निर्माता भुवन कुमार की मदद से इसे रिकॉर्ड कराया, जो काफी पसंद किया जा रहा है। इससे उनकी कुमाउनी गायक के रूप में भी पहचान बन गयी है। खड़क सिंह का मानना है कि कुमाऊंनी गीतों के माध्यम से हमारी सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जा सकती है। खड़क सिंह की पत्नी 34 वर्षीय गृहणी हैं। उनकी दो बेटियां पिंकी (13 वर्ष) और पूजा (17 वर्ष) हैं। परिवार का समर्थन और उनकी प्रेरणा ने खड़क सिंह को अपने शौक को पूरा करने का हौसला दिया। खड़क सिंह की यह पहल न केवल उनके सपनों को पंख दे रही है, बल्कि कुमाउनी भाषा और संस्कृति को भी संवारने का काम कर रही है।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

   

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