राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत व्यक्तित्व ही भारत के भविष्य की नींव : रामलाल

- 18 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का समागम, भविष्य का भारत और हमारी भूमिका विषय पर गहन मंथन

हरिद्वार, 16 अगस्त (हि.स.)। राज्य के इतिहास में पहली बार देवभूमि के 18 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में समागम हुआ। साथ ही भविष्य का भारत और हमारी भूमिका विषयक विचार संगोष्ठी में मूल्यपरक शिक्षा, युवाओं में नैतिकता-आध्यात्मिकता का समावेश एवं समग्र विकास के लिए गहन मंथन हुआ। सभी ने देवसंस्कृति विवि में पाठ्यक्रम के अलावा चलाए जा रहे जीवन जीने की कला, जीवन प्रबंधन, सोशल इंटर्नशिप, सृजन आदि कार्यक्रमों को सराहा और इसी तरह अपने-अपने विवि में भी योजनाएं चलाने पर सहमति जताई।

मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय जनसंपर्क प्रमुख रामलाल ने कहा कि भारत को दुनिया का नेतृत्व करने लायक बनाना है। इसके लिए जन-जन में राष्ट्र प्रेम व भक्ति भाव जागृत करना है। उन्होंने कहा कि विश्व में जिन देशों ने खुशहाली पाई है, उनमें उनके राष्ट्र के नागरिकों की देश प्रेम व भक्ति और अनुशासन का बड़ा योगदान है। रामलाल ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण करें, जो देश का सही नेतृत्व करने योग्य बन सकें। ऐसा होने से ही हमारा देश विकसित राष्ट्र की श्रेणी में अव्वल होगा।

इससे पूर्व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि भारत भूमि से ही विश्व को प्रकाशित करने वाला ज्ञान प्रकाश निकला है, जो पूरे विश्व को आलोकित कर रहा है। भारत भूमि में ही अध्यात्म, ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत को विश्व में पहुंचाने वाले स्वामी विवेकानंद, युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जैसे महान व्यक्तित्व का आविर्भाव हुआ। यह समय भारत के जागरण का समय है। डॉ. पण्ड्या ने कहा कि हमें अपने अतीत के गौरव को याद कर भविष्य का भारत बनाना है, जो विश्व के भविष्य का रूप लेगा।

पतंजलि विवि के कुलाधिपति योगगुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि शिक्षा, सामाजिक सहित सभी क्षेत्रों में मानसिक, आध्यात्मिक व नैतिक दृष्टि से सबल व्यक्तियों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें समन्वित रूप से वैचारिक, आर्थिक और नैतिक दृष्टि से पूरे विश्व का मार्गदर्शन करने के लिए युवाओं को तैयार करना है। स्वामी रामदेव ने कहा कि भारत के विश्वविद्यालयों को विदेशी विद्यालयों से बेहतर बनना होगा। युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के विपुल साहित्य भविष्य के भारत निर्माण में मार्गदर्शन की भूमिका निभाएगा। स्वामी रामदेव ने भारतवर्ष को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में बढ़ाने के लिए विविध पहलुओं पर विचार व्यक्त किया।

इससे पूर्व विचार संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का शुभारंभ आरएसएस के भारतीय जनसंपर्क प्रमुख रामलाल, योगगुरु स्वामी रामदेव, देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया। प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने अतिथियों को स्मृति चिह्न, गायत्री महामंत्र लिखित चादर, युग साहित्य, गंगाजली आदि भेंटकर सम्मानित किया। इस दौरान राज्य के पतंजलि विवि, हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा विवि, देसं विवि, उत्तराखंड मुक्त विवि, जीबी पंत विवि, उत्तराखंड आयुर्वेद विवि, आईआईटी रुड़की, स्वामी राम हिमालयन विवि सहित 18 विश्वविद्यालयों के कुलपति और उनके प्रतिनिधि तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला / कमलेश्वर शरण

   

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