हरियाणा : 15वीं विधानसभा में किंगमेकर बन सकते हैं निर्दलीय विधायक

प्रदेश में निर्दलीय विधायकाें के सहारे चली हैं कई सरकारें

चंडीगढ़, 18 सितंबर (हि.स.)। हरियाणा विधानसभा के चुनावी रण में इस बार 462 प्रत्याशियों ने निर्दलीय तौर पर ताल ठोकी है। इनमें 421 पुरुष और 21 महिलाएं हैं। कांग्रेस व भाजपा से टिकट न मिलने पर, दोनों दलों से बागी नेताओं ने भी निर्दलीय चुनावी दंगल में कूद कर चुनौती पेश दी है। इस चुनौती से कई दिग्गजों की सीट फंस गई है। हालांकि भाजपा और कांग्रेस ने बागियों के मान-मनौव्वल की खूब कोशिश की, जिसके चलते कई बागियों ने पर्चा वापस भी लिया, लेकिन कई बागी अभी भी चुनावी दंगल को जीतने का दम भर रहे हैं, जिससे कई सीटों पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। ऐसा भी हो सकता है कि 15वीं विधानसभा में यह

निर्दलीय जीतने वाले विधायक किंगमेकर बन जाएं।

वर्ष 1966 में पंजाब से अलग होकर बने हरियाणा के छह दशक के सियासी इतिहास में कई बार निर्दलीय विधायक किंगमेकर बने हैं। 58 साल में अभी 117 विधायक निर्दलीय तौर पर निर्वाचित होकर हरियाणा विधानसभा पहुंचे हैं। वर्ष 1967 से लेकर वर्ष 2019 तक 13 विधानसभा चुनावों में हर बार निर्दलियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यही नहीं वर्ष 2019 में जजपा और निर्दलियों के समर्थन से ही भाजपा दूसरी बार सत्ता में काबिज हुई थी। बहरहाल, 2019 के चुनावी परिणाम को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस से बागी नेता पार्टी से टिकट न मिलने के चलते निर्दलीय तौर ताल ठोक हैं। हरियाणा में 1967 से लेकर 2019 तक 13 चुनाव हुए हैं। 1982 में हुए पांचवें चुनाव में पहली बार कोई महिला निर्दलीय निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंची थी। वे थीं बल्लभगढ़ सीट से शारदा रानी, जो कि कांग्रेस से तीन बार विधायक बनीं, लेकिन 1982 में जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने निर्दलीय तौर पर चुनावी ताल ठोकी और जीत दर्ज की। हरियाणा की सियासत में निर्दलीय विधायक किंगमेकर की भूमिका में रहे हैं। 2009 में कांग्रेस सरकार ने 7 निर्दलीय विधायकों के सहारे सरकार बनाई तो इससे पहले 1982 में 16 विधायक निर्वाचित हुए थे, तब भजनलाल निर्दलीयों के सहारे ही मुख्यमंत्री बन पाए थे। बाकायदा, भजन लाल मंत्रिमंडल में पांच निर्दलीय मंत्री बने थे। हरियाणा विधानसभा में हर बार औसतन पांच से सात निर्दलीय विधायक पहुंचे हैं। अभी तक छह बार 10 से ज्यादा निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए हैं। इनमें 1967, 1972, 1982, 1996, 2000 और 2005 में 10 से ज्यादा निर्दलीय विधायक बने हैं। इसके अलावा हर चुनाव में औसतन पांच से सात विधायक निर्दलीय निर्वाचित होकर चंडीगढ़ पहुंचे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में 7 निर्दलीय विधायकों के सहारे मनोहर लाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। निर्दलीय विधायकों के कोटे से रानियां विधायक रणजीत चौटाला को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। रणजीत चौटाला मनोहर लाल के साथ नायब सैनी मंत्रिमंडल में बिजली मंत्री का ओहदा मिला। इसके साथ ही सभी निर्दलीय विधायकों कई बोर्डों व निगमों में चेयरमैनी सौंपी गई।

निर्दलियों विधायकों का सियासी सफर

वर्ष निर्दलीय विधायकों की संख्या

1967 16

1968 06

1972 11

1977 07

1982 16

1987 07

1991 05

1996 10

2000 11

2005 10

2009 07

2014 05

2019 07

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा

   

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