जम्मू,, 9 अक्टूबर (हि.स.)। जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रैंस को जनादेश मिलने के बाद निश्चित रूप से नेकां की सरकार बनने जा रही है लेकिन इस सरकार में नेकां के सहयोगी कौन होंगे यह अभी यह साफ नहीं हो पाया है। क्या नेकां अपने गठबंधन सहयोगी कांग्रेस के साथ सत्ता में आएगी या फिर निदर्लीयों के साथ नेकां सरकार बनाने की दिषा में कदम बढ़ाएगी या फिर जम्मू के जनादेश का सम्मान करते हुए नेकां, भाजपा को अपने साथ आने का न्यौता देगी। खैर हय तो नेकां का मामला है कि नेकां किसके साथ जाना पसंद करेगी। लेकिन सरकार बनने बाद सरकार का रूप कैसा होगा सरकार में कितने मंत्री होंगे और मंत्रियों में कौन कौन षामिल होगा। क्या यह सरकार जनता से किए वादे पूरे कर पाएगी। क्या यह सरकार धारा 370 वापिस ला पाएगी। क्या यह सरकार जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दिला पाएगी। क्या यह सरकार डेलीवेजरों को पक्का कर पाएगी। क्या यह सरकार बेरोजगार युवाओं को नौकरी या रोजगार दे पाएगी। क्या यह सरकार ब्यूरोक्रैसी की मनमानी पर अंकुष लगा पाएगी। ऐसे अनेक सवाल है जिन्हें लेकर जनता सरकार की तरफ देखेगी लेकिन जिस प्रकार से जम्मू कष्मीर के उप राज्यपाल को केंद्र द्वारा अधिक षक्त्यिों के साथ लैस किया गया है तो ऐसे में इनमें से एक भी कदम सरकार अपने दम पर उठाने में सक्षम नहीं होगी। ऐसे में जिस कष्मीर की आवाम ने नेकां को एक तरफा मैंडेट दिया है उस आवाम को नेकां के नेता क्या जवाब देंगे। क्योंकि बिना केंद्र के सहयोग से जम्मू कष्मीर यूटी में सरकार चला पाना बेहद मुष्किल होगा। ऐसे में सरकार बनाने से पहले उमर अब्दुल्ला द्वारा दिए गए इस बयान के भी कई मायने है जिसमें उन्होंने कहा कि पीएम मोदी एक सम्मानीय व्यक्ति है हम मूर्ख नहीं है जो सोचते है कि हम धारा 370 वापिस ले आएंगे। हम केंद्र के साथ मिलकर काम करना चाहते है। ऐसे में इस बयान से यह बात भी साफ है कि अगर जरूरत पड़ी तो नेकां जम्मू कष्मीर की सरकार चलाने के लिए भाजपा का भी सहयोग ले सकती है। लेकिन अगर नेकां भाजपा का सहयोग नहीं लेती है तो सरकार में जम्मू खित्ते की आवाज कौन बुलंद करेगा। क्या जम्मू खित्ते से जीते निदर्लीयों को नेकां सरकार में मंत्रीपद देगी। या फिर सरकार में जम्मू की नुमाइंदगी करने वाला कोई नहीं होगा। यह भी एक बड़ा सवाल है और निष्चित रूप से इस पर भी नेकां नेताओं द्वारा गहन मंथन किया जाएगा क्योंकि उमर अब्दुल्ला के बयान के कई मायने है। लेकिन सरकार के पास सीमित अधिकार ही होंगे क्योंकि वो मात्र 9 ही मंत्री बना पाएंगे ऐसे में नेकां सरकार को अपने गठन से पहले कई पहलुओं पर विचार करना होगा ताकि कहीं कोई कोताही न रह जाएं।
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हिन्दुस्थान समाचार / अश्वनी गुप्ता