जहां बेटी जन्म लेती है, उनके माता-पिता सौभाग्यशाली : नारायण कौशिक

श्री नागदेव मंदिर परिसर में आयोजित शिव महापुराण कथा में प्रवचन देते हुए कथावाचक नारायण कौशिक।

धमतरी, 5 दिसंबर (हि.स.)।शहर के हटकेशर वार्ड में आयोजित नागदेव शिव महापुराण कथा एवं रुद्र महायज्ञ में कथा वाचक युग पुरोहित नारायण कौशिक ने कहा कि जिनके जहां बेटी जन्म लेती है। उनके माता-पिता सौभाग्यशाली होते हैं।

उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि सती जैसी बेटी पाकर दक्ष प्रजापति का ऐश्वर्य तीनों लोक में गूंजने लगा। दक्ष प्रजापति की कीर्ति तीनों लोक में कराने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। जिसमें दक्ष ने अपने जमाई भगवान शंकर और माता सती को अहम वश आमंत्रित नहीं किया। फिर भी माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाने के लिए आतुर रही। भोले शिव के लाख मना करने पर भी वह नहीं मानी। लाख समझाने का प्रयास करने के बाद भी परिस्थिति जब अपने बस में नहीं रहती तो उसे भगवान के भरोसे छोड़ देना चाहिए। माता सती बिना आमंत्रण के दक्ष के अनुष्ठान में चली गई। वहां उसे घोर अपमान सहना पड़ा उससे कोई बात नहीं करता। माता सती को भारी ग्लानि हुई। वह अपने पति भगवान शिव की बात ना सुनकर अपने जिद में चली आई थी। आखिर में माता सती दक्ष प्रजापति के यज्ञ कुंड में ही कूद गई। माता सती के यज्ञ कुंड में कूदते ही त्राहि त्राहि मच गया। ध्यान में मग्न भोले बाबा को जब भयावह घटना का पता चला तो वह भयंकर क्रोध में आ गए। गुस्से में सिर को घुमाकर जब अपने जटा को पटका तो विकराल शरीर वाला राक्षस वीरभद्र पैदा हो गया। शिव का आदेश मिलते ही वह राजा दक्ष प्रजापति के महायज्ञ में भयंकर तांडव मचा दिया। और प्रजापति दक्ष के गले को काट दिया। भगवान शिव यज्ञ से माता सती की जलती हुए लाश को लेकर भयंकर रुदन के साथ आसमान में उड़ गए। माता सती की लाश के अंग जहां-जहां गिरे आज वहां शक्तिपीठ है। आज दिव्य भव्य मंदिर है। जिसकी विशेष रूप से पूजा की जाती है।

उन्होंने कहा कि छोटे छोटे पुण्य का कार्य महान बना देती है। दीन दुखियों का सेवा करना, पशु-पक्षी, मछलियों को भोजन कराना, गौशाला की सेवा करना ऐसे छोटे छोटे पुण्य नसीब बदल देती है। उन्होंने शिव पार्वती विवाह कथा का वर्णन किया। कथा का आयोजन शिव महापुराण नागदेव मंदिर समिति ने किया है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

   

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