कानपुर, 05 नवम्बर (हि.स.)। पुत्रों की दीर्घायु की कामना का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत मंगलवार से नहाय खाय के साथ हो गयी। बुधवार को दूसरे दिन खरना उत्सव होगा और इसी के साथ ही व्रत का शुभारम्भ भी हो जाएगा। शहर में पूर्वांचल और बिहार से जुड़े लोगों ने पूजन की तैयारियां जोर शोर से शुरु कर दी है। इसके साथ ही वेदियां बनाने का कार्य भी लगभग पूरा हो गया है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को व्रती महिलाएं अस्त होते सूर्य को अर्ध्य देंगी और पुत्र के दीर्घायु की कामना करेंगी। जबकि अगले दिन सुबह उदय होते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। व्रतियों ने स्नान कर छठ व्रत का संकल्प लिया। उसके बाद अरवा चावल का भात, चने की दाल और कद्दू (लौकी) की सब्जी ग्रहण किया। इसमें परिवार के सदस्य भी शामिल रहे। नहाय-खाय के बाद व्रती खरना की तैयारी में जुट गईं। इस दौरान व्रतियों ने खरना के लिए गेहूं धोकर सुखाया और मिट्टी के चूल्हे को अंतिम रुप दिया। गेहूं सुखा रही व्रती महिलाएं छठ माई पर आधारित गीत... पहिले पहिले हम कइली, छठी मईया बरत तोहार.....जैसे गुनगुना रही थी।
--सात की शाम और आठ की सुबह होगा मुख्य पूजन
व्रती कुसुमलता ने बताया कि नहाय खाय के साथ ही उनकी कठिन परीक्षा शुरु हो गई है। लेकिन, उन्हें पूरा विश्वास हैं कि छठ मईया के तप से उनका व्रत सहज तरीके से सम्पन्न हो जाएगा। छठ पूजा का मुख्य पूजन सात नवम्बर की शाम और आठ नवम्बर की सुबह होगा जब व्रती महिलाएं भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर छठ मइया से पुत्रों के दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना करेंगी व घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ेगा। मंगलवार को पहले दिन महिलाओं ने घरों में पूजन अर्चन किया शाम को ही चौरा में दउरा और सूप में फल, फूल, नारियल और अन्य पूजन सामग्रियां रख दिया। शाम को अखंड ज्योति जलाकर मां का पूजन अर्चन किया गया। अब दूसरे दिन बुधवार को महिलाएं खरना उत्सव मनाएंगी और फिर गुरुवार की शाम को घाट पर पहुंचकर डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर सुख समृद्धि व दीर्घायु की कामना करेंगी वे एक दूसरे की मांग में सिंदूर भी भरेंगी। शुक्रवार को जब सूर्य उदय होगा तब उन्हें अर्ध्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह