कुमाऊं विश्वविद्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शिवराज सिंह कपकोटी ने इतिहास में पीएचडी पूरी की

नैनीताल, 4 अक्टूबर (हि.स.)। कुमाऊँ विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के इतिहास विभाग में पिछले 20 वर्षों से संविदा पर कार्यरत शिवराज सिंह कपकोटी ने इतिहास विषय में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उन्हाेंने प्रो. सावित्री कैड़ा जन्तवाल के निर्देशन में पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल के सांस्कृतिक योगदान का ऐतिहासिक मूल्यांकन पर शाेध किया।

यह विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार है कि किसी चतुर्थ श्रेणी संविदा कर्मचारी ने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। शिवराज की मौखिक परीक्षा ऑनलाइन माध्यम से नालंदा केंद्रीय विश्वविद्यालय, राजगीर के कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह द्वारा ली गई। शिवराज ने यूजीसी रेगुलेशन 2009-2010 के तहत मेरिट के आधार पर पीएचडी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की थी।

शिवराज ने अपनी इस सफलता का श्रेय माता-पिता, गुरुजनों और इतिहासकार डॉ. अजय रावत एवं डॉ. शेखर पाठक को दिया है। उन्होंने पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. गिरधर सिंह नेगी और डॉ. भुवन चन्द्र शर्मा का आभार भी व्यक्त किया।

वर्तमान विभागाध्यक्ष प्रो. संजय घिल्डियाल, प्रो. संजय कुमार टम्टा, डॉ. शिवानी रावत, डॉ. रितेश साह, डॉ. मनोज सिंह बाफिला और अन्य विद्वानों ने शिवराज को इस उपलब्धि पर बधाई दी है।

शोध के दौरान शिवराज ने यह पाया कि पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल को कुमाऊं और गढ़वाल विश्वविद्यालयों ने नौकरी के योग्य नहीं माना था, जिससे वह हताश होकर आत्महत्या तक सोचने लगे थे। लेकिन उन्होंने इस नकारात्मकता से बाहर आकर सकारात्मक दिशा में आगे बढ़े, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

   

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