एसडीसी फाउंडेशन की चौंकाने वाली रिपोर्ट! उत्तराखंड स्वच्छता में फिसड्डी, 88 शहरी निकायों में 87 को शून्य अंक 

- एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट ने खोली सफाई अभियान की पोल - उत्तर भारत के सबसे गंदे शहरों में उत्तराखंड का बोलबाला

देहरादून, 06 दिसंबर (हि.स.)। उत्तराखंड के शहरी निकाय स्वच्छता के मामले में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उत्तराखंड के शहरी निकायों की स्वच्छता पर सवाल खड़े करते हुए एसडीसी फाउंडेशन ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 की रिपोर्ट जारी की है। उत्तराखंड स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 रिपोर्ट ने राज्य के सफाई अभियान की चिंताजनक तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 88 में से 87 शहरी निकाय गार्बेज फ्री सिटी चैलेंज में शून्य अंक हासिल करने वाले निकायों में शामिल हैं। एक लाख से कम आबादी वाले 80 प्रतिशत निकाय उत्तर भारत के सबसे गंदे एक चौथाई शहरी क्षेत्रों में दर्ज हुए हैं।

उत्तरांचल प्रेस क्लब देहरादून में शुक्रवार को प्रेसवार्ता के दौरान रिपोर्ट ​जारी करते हुए एसडीसी फाउंडेशन​ के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि रिपोर्ट एक ओर जहां राज्य में सफाई व्यवस्था में बरती जाने वाली ​व्यापक लापरवाही को सामने लाती है, वहीं दूसरी ओर मौजूदा स्थिति में ​बड़े सुधार लाने के लिए 10 सुझाव भी दिये गये हैं।​ एसडीसी फाउंडेशन​ ने पिछले वर्षों में भी उत्तराखंड में स्वच्छ सर्वेक्षण पर रिपोर्ट जारी की थी।

उन्होंने बताया कि एक लाख से कम आबादी वाले शहर में उत्तराखंड के 80 निकायों में से 80 प्रतिशत निकाय उत्तर भारत के सबसे गंदे शहरी क्षेत्रों में गिने गए। 50 हजार से एक लाख आबादी वाले शहर में मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र खटीमा 98वें स्थान पर रहा, जो इस श्रेणी का सबसे गंदा शहर है। 25 हजार से 50 हजार की आबादी वाले शहर में सितारगंज 199वें स्थान पर रहा यानि दूसरे सबसे गंदे शहर के रूप में दर्ज हुआ। 15 हजार से कम आबादी वाले शहर में चौखुटिया अंतिम 441वें स्थान पर रहा।

केवल देहरादून ने बचाई इज्जत उत्तराखंड के आठ बड़े शहरों में से केवल देहरादून ने ही देश के शीर्ष 100 स्वच्छ शहरों में जगह बनाई, जहां इसे 68वां स्थान प्राप्त हुआ। बाकी सभी शहरों का प्रदर्शन औसत से भी खराब रहा।

स्वच्छता सुधारने के लिए 10 सुझाव एसडीसी फाउंडेशन ने रिपोर्ट में कचरा प्रबंधन आयोग का गठन करने का सुझाव दिया है, जो सॉलिड वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट, ई-वेस्ट, बायो मेडिकल वेस्ट और कंस्ट्रक्शन वेस्ट जैसे कचरे का व्यवस्थित प्रबंधन कर सके। इसके अलावा अन्य प्रमुख सुझावों में स्रोत से कचरे को अलग करना। सफाई कर्मचारियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम। जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों के लिए विशेष सत्र। आम नागरिकों को शामिल करने वाले जागरूकता अभियान। सफाई अभियान की नीति निर्धारण है।

चुनावी मुद्दा बनेगी स्वच्छताएसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों से अपील की है कि वे अपने घोषणापत्र में स्वच्छता सुधार कार्य योजना को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि स्वच्छता को लेकर जन आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण

   

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