रतलाम: सनातन वैदिक आर्य हिंदू धर्म की मान्यताओं का कोई भी देश खंडन नहीं करता है: शंकराचार्य जी

रतलाम, 4 जनवरी (हि.स.)। धर्म, ज्योतिष का व्यापारीकरण हो गया। धर्म के प्रति एकता का अभाव है। इसका कारण यही है कि सबको पद चाहिए,नाम चाहिए,काम करना कोई नहीं चाहता है। सनातन वैदिक आर्य हिंदू धर्म की मान्यताओं का कोई भी देश खंडन नहीं करता है,सभी मानते हैं। यह बात सनातन धर्म सभा द्वारा आयोजित महारूद्र यज्ञ के अवसर पर शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहीं।

शंकराचार्य जी ने धर्म सभा में मौजूद लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए धर्म का ज्ञान करवाया। उन्होंने कहा कि सनातन वैदिक आर्य हिंदू धर्म का दुनिया का कोई देश खंडन नहीं करता है। इसका मतलब यही है कि सब मान्यता देते हैं। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने शपथ लेने के दौरान कहा था कि मैं क्रिश्चियन हूं। मैं बाइबल को मानता हूं मगर यह भी है कि बाइबिल में से गीता के अंश निकाल दिए जाएं तो बाइबल, बाइबल नहीं रहेगी।

धर्म के प्रति एकता का अभाव नजर क्यों आ रहा है? इस प्रश्न का जवाब देते हुए शंकराचार्य जी ने कहा जो सब पद और नाम के कारण ही ऐसा हो रहा है। कोई भी व्यक्ति धर्म के लिए काम नहीं करता है। वह पेट और परिवार की ओर ही देखता है। जब एक संस्था में उसे पद नहीं मिलता है या उसका नाम नहीं होता है तो इसके मोह में वह दूसरी संस्था बना लेता है। वास्तव में व्यक्ति को एक रुपया और एक घंटा ईश्वर के लिए निकालना चाहिए तभी कार्य बनेगा। समाज और देश हित होगा।

गौहत्या बंद होना चाहिए

उन्होंने कहा कि भारत देश में गौ माता पीडि़त है, गौ हत्या बंद नहीं हो रही है जबकि 33 करोड़ देवी देवताओं का उसमें वास है । कहते हैं बुरा ना मानो होली है वैसे ही गौ रक्षा के नाम पर ही तो वोट मांगे जाते हैं। जब उसका कटना रोक देंगे तो फिर वोट किसके नाम पर मांगे जाएंगे। जब हम बैलगाड़ी का उपयोग नहीं करते हैं। ट्रैक्टर से कार्य हो रहा है तो बेल की उपयोगिता समाप्त हो गई, तो फिर उसका क्या होगा वह कटेगा ही। यह सब राजनीतिक प्रोपोगंडा चल रहा है ।

व्यवसायीकरण के दौर में आस्था कम हो रही है

उन्होंने कहा कि व्यवसायीकरण के दौर में आस्था कम हो रही है । दिशाहीनता ने प्रजातंत्र पर अड्डा जमा लिया है। वैराग्य और विवेक शापित हो गए हैं। सभी दूर व्यापारी घुस गए हैं। यदि ऐसा ही रहा तो राजनेताओं में ठेका देने की क्षमता भी नहीं रहेगी। सब कुछ दिशाहीन हो रहा है। धर्म के मामले में भी ऐसा ही कुछ है। जनता को सही ज्ञान देने वाले नहीं हैं भ्रम फैलाने वाले ज्यादा हो गए हैं।

संस्कार संस्कृति का पालन होगा तो युवा पीढ़ी नहीं भटकेगी

वर्तमान दौर में युवा पीढ़ी भटक गई है, उसे कैसे रास्ते पर लाएं के सवाल के जबाब में उन्होंने कहा कि किसने कहा युवा पीढ़ी भटक गई है। युवा खूब-खूब साथ दे रहे हैं। दिशाहीन परिवार और समाज के कारण ऐसा लग रहा है। यदि आपके परिवार में संस्कार संस्कृति का पालन पोषण होता है तो युवा पीढ़ी नहीं भटकेगी। घर का वातावरण बेहतर बने तो सब कुछ बढिया रहेगा। मैं भी दिल्ली में पढ़ा हूं लेकिन मैं तो दिल्ली नहीं बना। यह सभी संस्कार और संस्कृति पर ही निर्भर है। यदि आपके संस्कार का सिंचन सही है तो युवा कभी भी नहीं भटकेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी

   

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