सेब की फसल के लिए वरदान है बर्फबारी : मौसम वैज्ञानिक

कानपुर, 25 फरवरी (हि.स.)। जनवरी में मौसम शुष्क बने रहने से सेब किसान परेशान हो गए थे। लेकिन फरवरी की शुरूआत में देर से बर्फबारी होने के बाद किसानों चहेरों पर खुशी है। अगर बर्फबारी मार्च तक जारी रहती है तो सेब की अच्छी फसल होगी, जिससे अच्छा मुनाफा होगा। वहीं ज्यादा बर्फबारी से सेब की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले फंगस भी खत्म हो जाएंगे। इस प्रकार हो रही बर्फबारी सेब की फसल के लिए वरदान साबित होगी। यह बातें रविवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने कही।

उन्होंने बताया कि इस सीजन में देरी से पहाड़ों पर मौसमी गतिविधियों की शुरूआत हुई है। अभी पहाड़ी राज्यों में भारी बर्फबारी और बारिश का दौर चल रहा है। इन मौसमी गतिविधियों से पहाड़ी राज्यों में मौसम सर्द और मैदानी इलाकों के तापमान में बदलाव हो रहा है। फरवरी महीने में मौसमी गतिविधियां बारिश, बर्फबारी, ओले अपना असर दिखा रही हैं। लंबे समय के बाद पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी का लुफ्त उठाने के लिए देश-विदेश से पर्यटक पहाड़ों राज्यों में उमड़ने लगे हैं। जिससे पर्यटन पर निर्भर व्यवसासियों के चेहरे खिल गए हैं। क्योंकि इस सीजन में दिसंबर और जनवरी में पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी नहीं हुई थी, जिस कारण पहाड़ों पर टूरिस्ट नहीं पहुंचे। पर्यटकों के नहीं पहुंचने पर पर्यटन कारोबार में तेजी से गिरावट हुई थी और व्यवसायियों की जीविका मुश्किल हो रही थी।

बर्फबारी से यह भी होंगे फायदे

मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि जब पहाड़ों पर अच्छी बर्फबारी होगी तो पर्यटक पर्वतारोहण और ट्रैकिंग करने पहुंचते हैं। इसी के साथ फेमस ट्रैक रूट पर ट्रैकिंग करने सैलानी पहुंचेगे, जिससे इन दोनों पर्वतारोहण और ट्रैकिंग से जुड़े कारोबारियों को फायदा होगा। वहीं टूरिस्ट गाइड, होम स्टे कारोबार, खाने-पीने का कारोबार करने वाले सभी लोगों को लाभ होगा। वहीं अगर बर्फबारी मार्च तक जारी रहती है तो सेब की अच्छी फसल होगी, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होगा। सेब के पेड़ों के लिए चिलिंग प्वाइंट बनाकर रखना बहुत जरुरी होता है। अगर सेब की अच्छी पैदावार चाहिए तो चिलिंग प्वाइंट 1000 हजार से 1300 घंटो तक रहना चाहिए। इससे सेब की गुणवत्ता अच्छी होती है। अच्छी बर्फबारी सेब के पेड़ों को जरुरी नमी मिलती है। जो सेब के फूल बनने(फ्लावरिंग)के लिए बहुत आवश्यक है। इसके अलावा पहाड़ों पर बर्फबारी होने के बाद ही विंटर गेम्स को आयोजित किया जा सकता है। इस साल की शुरुआत में बर्फबारी नहीं होने के कारण विंटर गेम्स के आयोजन पर आंशिक बादल मंडरा गए थे। इसके अलावा पहाड़ों पर होने वाली बर्फबारी और बारिश से नदियां, ग्लेशियर रिचार्ज हो जाते हैं जो गर्मियों के दौरान साफ पानी और खेती के काम आता है। अगर मौसम शुष्क रहेगा तो नदियां और ग्लेशियर रिचार्ज नहीं होंगे। जिससे पीने का पानी, तापमान बढ़ना जैसे कई अन्य संकट पैदा हो जाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/बृजनंदन

   

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