नगर निगम, देहरादून से 13743 पत्रावलियां गायब, सूचना आयुक्त ने लगाई फटकार
- Admin Admin
- Feb 08, 2024
देहरादून, 08 फरवरी (हि.स.)। नगर निगम देहरादून के अभिलेखों से हर साल रहस्यमयी तरीके से पत्रावलियां गायब हो रही हैं। इसके लिए सूचना आयुक्त ने फटकार लगाई है।
राज्य सूचना आयोग ने नगर निगम के अभिलेखों से पत्रावलियों के गायब/गुम होने को गंभीरता से लेते हुए तकरीबन छह माह पूर्व नगर निगम के अभिलेखों से वर्ष 2022 तक गायब पत्रावलियों का विवरण तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए तो खुलासा हुआ कि बीते बीस साल में हजारों की संख्या में पत्रावलियां गायब हैं।
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट के निर्देश पर नगर निगम द्वारा छह माह में तैयार की गयी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वर्ष 1989 से 2022 तक नगर निगम अभिलेखों से 13 हजार 743 पत्रावलियां गायब हैं। राज्य सूचना आयुक्त ने इतनी बड़ी संख्या में पत्रावलियों के नगर निगम से गायब होने को गंभीरता से लेने की जरूरत बताते हुए संपूर्ण प्रकरण शासन को संदर्भित किया है। आयोग ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि इतनी बड़ी संख्या में पत्रावलियां गायब होने के लिए कोई जवाबदेह नहीं है। आयोग ने आशंका जताई है कि पत्रावलियां गायब होने के पीछे कोई बड़ा राज है, जिसे गिरोहबंद अथवा सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। राज्य सूचना आयुक्त ने अपने निर्णय में मुख्य नगर आयुक्त देहरादून को गायब पत्रावलियों की स्थिति अद्यतन करते हुए नगर निगम मे अभिलेखों के रखरखाव एवं संरक्षण की व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
आयोग ने यह निर्देश तरुण गुप्ता की एक अपील पर दिए, जिसमें नगर निगम से संपत्ति नामांतरण संबंधी पत्रावली की मांग की गई थी। नगर निगम द्वारा यह पत्रावली उपलब्ध नहीं करायी गयी और अवगत कराया गया कि पत्रावली गुम है। आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए एवं पत्रावली न मिलने की अन्य अपीलों का संज्ञान लेते हुए नगर निगम को अभिलेखों से गायब पत्रावलियों का विवरण तैयार करने के निर्देश दिए थे।
सुनवाई के दौरान प्राप्त गायब पत्रवलियों की अंतरिम सूची का अंतिम सूची के साथ मिलान करने पर बड़ा अंतर सामने आया है। पूर्व में प्रेषित अंतरिम सूची में वर्ष 2014-15 तक 15,009 पत्रावलियां अनुपलब्ध होने की जानकारी दी गयी थी जबकि अंतिम सूची में वर्ष 2021-22 तक कुल 13,743 पत्रावलियां गायब होना दर्शाया गया है। अंतरिम एवं अंतिम सूची में बड़े अंतर का कारण स्पष्ट करते हुए डीम्ड लोक सूचना अधिकारी/ धर्मेश पैन्यूली (कर अधीक्षक) द्वारा अवगत कराया कि पूर्व में नगर निगम अभिलेखागार में पत्रावलियां वर्षवार नहीं थी अभिलेखागार में उपलब्ध पत्रावलियों की वर्ष वार छटनी करते हुए उच्चतम क्रमांक की उपलब्ध पत्रावली को आधार बनाकर पत्रावलियों की गणना की गयी। यह काम गणना पूरी होने तक चलता रहा। इसी कारण अंतिम सूची तैयार होने में अंतर रहा है। कुछ वर्षों में उच्च क्रमांक की पत्रावली प्राप्त होने के कारण अनुपलब्ध पत्रावलियों की संख्या बढ़ी है तो कुछ वर्षों में पूर्व में अनुपलब्ध कमांको की पत्रावलियां प्राप्त होने पर संख्या कम हुई है।
नगर निगम के बीते ढाई दशकों के अभिलेखों में 13743 पत्रावलियां गायब हैं। आयोग के निर्देश पर अनुपलब्ध/ गायब पत्रावलियों का क्रमांकवार विवरण तैयार हो गया है, जिसकी प्रति सहायक नगर आयुक्त, नगर निगम देहरादून द्वारा आयोग को भी उपलब्ध कराई गई है।
नगर निगम में बीते ढाई दशक में अभिलेखों से गायब हुई 13743 पत्रावलियों की जवाबदेही किसी की भी निर्धारित नहीं है। नगर निगम अभिलेखागार से 13743 पत्रावलियों का गायब होना एक अधिकारिक आंकड़ा है, आंकडे़ को लेकर अब कोई संदेह नहीं है। स्वयं निगम के अधिकारियों का कथन है कि यह अंतिम आंकड़ा है तथा इसमें पांच फीसदी से अधिक अंतर की संभावना नहीं है। इतनी बड़ी संख्या में नगर निगम से पत्रावलियां गायब होना और इसके लिए किसी का जवाबदेह ना होना अत्यंत आश्चर्यजनक है। गायब पत्रावलियों की बड़ी संख्या नगर निगम देहरादून की साख पर सवाल है।
यह बहुत चिंताजनक है कि प्रदेश के सबसे बड़े निगम में अभिलेखों की सुरक्षा नहीं है, बड़ी संख्या में पत्रावलियां गायब हैं, लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं है। सूचना अधिकार अधिनियम नहीं होता तो यह खुलासा होता ही नहीं कि नगर निगम अभिलेखागार से बड़ी संख्या में पत्रावलियां गायब हैं। नगर निगम देहरादून में पत्रावलियों के गायब होने को गंभीरता से नहीं लिए जाने और पत्रावलियों /अभिलेखों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार एवं जवाबदेह व्यवस्था न होना इसका प्रमाण है कि नगर निगम देहरादून की आंतरिक व्यवस्था सही नहीं है।
ऐसे में आशंका यह है कि पत्रावलियों को गायब करने के खेल को सुनियोजित एवं गिरोहबंद तरीके से अंजाम दिया जा रहा हा हो। वर्णित स्थिति की गंभीरता को एवं संवेदनशीलता देखते हुए संपूर्ण प्रकरण सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 18(2) के अन्तर्गत इस आशय से सचिव, शहरी विभाग, उत्तराखण्ड शासन, एवं निदेशक, शहरी विकास निदेशालय, देहरादून को संदर्भित किया जाता है कि नगर निगम, देहरादून से बड़ी संख्या में पत्रावलियों के गायब होने का गंभीरतापूर्वक संज्ञान लेते हुए ठोस कार्रवाई की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में किसी भी नगर निकाय में इसकी पुनरावृत्ति न हो।
हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती/रामानुज