नेपाल के वीरगंज में पकड़े गये चीनी नागरिक भारत की सुरक्षा में लगा रहे थे सेंध

रक्सौल वीरगंज बार्डर की प्रतीकात्मक तस्वीर रक्सौल वीरगंज बार्डर की प्रतीकात्मक तस्वीर

-नेपाल पुलिस द्धारा जांच की रफ्तार धीमी होने से उठ रहे है कई सवाल

पूर्वी चंपारण,09 अप्रैल(हि.स.)। जिला से सटे नेपाल के वीरगंज शहर के लक्ष्मणवा में प्रतिमा चौक के समीप पकड़े गये चीनी नागरिक और उनके द्वारा संचालित दफ्तर से भारत के खिलाफ खुफिया गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश माना जा सकता है।लोक सभा चुनाव के दो माह पूर्व इस दफ्तर के अस्तित्व में आने को लेकर भारतीय सुरक्षा एजेंसी भी सशंकित है।

बताया जा रहा है कि चीनी नागरिकों द्धारा संचालित इस दफ्तर में कई भारतीय व नेपाली नागरिक एजेंट के रूप में कार्यरत थे, जिनका खुलासा होना बाकी है। सुरक्षा एजेंसी के अनुसार इस दफ्तर को वीरगंज शहर से दूर और भारतीय सीमा के नजदीक चीनी नागरिकों के एक समूह द्धारा संचालित कर ऑन लाइन लॉटरी और ऑन लाइन शॉपिंग,विदेशी नागरिकों से ठगी सहित कई संदेहास्पद गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा था। नेपाल पुलिस के अनुसार इस दफ्तर के लिए इमारत को नेपाल के हेटौंडा शहर की एक महिला श्रद्धा जोशी ने किराए पर नंदू पटेल से एग्रीमेंट के तहत लिया था,जो छापेमारी के बाद से फरार है।

दफ्तर में सीसीटीवी कैमरे,सुसज्जित बेड रूम सहित कई अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध थी, जो देखने में प्रथम दृष्टया कंप्यूटर ट्रेनिंग इंस्चूयुट का लैब लग रहा था, जिसमे 120 कंप्यूटर सेट लगाए गए थे।साथ ही ऐसी चर्चा है,कि इस दफ्तर को ब्रेडा इंटरनेशनल नाम से चाईनिज स्टडी सेंटर संचालन की भी योजना बनाई गई थी।

नेपाल पुलिस के अनुसार यहां पकड़े गये तीन चीनी नागरिक हुनान प्रान्त निवासी लिउ गुइ चाइ (33), हुवेइ प्रान्त निवासी वाङ बोहाङ (26) और हुबेई प्रान्त निवासी जीयाङ जियाओ (36) साइबर एक्सपर्ट है।पूछताछ में इनका कनेक्शन भारत समेत पाकिस्तान, मलेशिया, कंबोडिया सहित देशों में हैं। हालांकि इनका मुख्य निशाना भारतीय नागरिक थे।ऑन लाइन लॉटरी के नाम पर इनाम का प्रलोभन ठगी, ऑन लाइन शॉपिंग साइट के नाम पर ठगी, शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कराने के नाम पर ठगी का काम करने की बात भी बताया गया। इसके साथ ही यह लोग अंतराष्ट्रीय कॉल बाईपास का भी धंधा करते थे।इनके पास से पकड़े गये भारी मात्रा में भारतीय सीम से भारत में कॉल किया जाता था और इसका इस्तेमाल ठगी के साथ खुफिया नेक्सस को मजबूत बनाने में की जा रही थी। हालांकि यह जांच होना बाकी है,कि आखिर चीनी नागरिकों को भारतीय सीम कैसे हासिल हुआ ? इनके पास भारतीय नंबर प्लेट की गाड़ी कैसे आयी।आखिर भारत में वह कौन थे? जो इन्हे सहयोग कर रहे थे।

ऐसी चर्चा है कि नेपाल की वीरगंज पुलिस ने पकड़े गये चीनी नागरिक को पर्यटक बता कर छोड़ दिया है,जबकि इनके साथ पकड़े गये दो नेपाली नागरिक को बॉन्ड बना कर छोड़ दिया गया। इन चर्चाओ को बल इस बात से मिल रहा है,कि नेपाल पुलिस ने तीनो चीनी नागरिकों को मीडिया के सामने अब सार्वजनिक नही किया है,साथ ही उन नेपाली नागरिकों का डिटेल भी नही दिया है,जो उनके साथ थे।बताया यह भी जा रहा है,कि इन चीनी नागरिकों के समूह में कुल पांच लोग शामिल थे। तीन लोगो के अलावे दो चीनी नागरिक कहां और कैसे लापता हो गये।भारत के लोगो का मानना है,कि बिना नेपाली नागरिकों और नेपाल पुलिस की संलिप्तता के भारतीय सीमा के करीब यह कारनामा संभव हो ही नही सकता।मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय सीम और भारतीय वाहन की बरामदगी से भारतीय दूतावास और भारतीय खुफिया एजेंसियां एलर्ट मोड में आ गई है और हरेक पहलुओं पर उसकी नजर बनी हुई है।

हालाकि, नेपाल पुलिस के द्धारा जांच में असहयोग और सुस्त चाल से कई सवाल खड़े हो रहे है। जबकि वीरगंज के डीएसपी कुमार विक्रम थापा कहते है, कि तीनो चीनी नागरिकों से पूछ ताछ जारी है। इन्हे रिमांड पर ले कर गहन जांच हो रही है। पकड़े गये मोबाइल, लैपटॉप का लॉक खोलने की प्रक्रिया जारी है, जो चीनी भाषा में है। चीनी भाषा में ऑडियो विडियो रिकॉर्डिंग भी है। जिसको लेकर चीनी भाषा के विशेषज्ञ को बुलाया जा रहा है, ताकि, जांच आगे बढ़े।हालांकि इन चीनी नागरिको के पकड़े जाने का करीब दुसरा सप्ताह पूरा होने को है। फिलहाल नेपाल पुलिस के दावे जो भी हो सीमा पर चीनी नागरिको के चहलकदमी से भारत के लोगो में बैचैनी व्याप्त है।

हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/चंदा

   

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