सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने सब से ऊपर मातृत्व को चुनने को कहा

जम्मू, 12 मई (हि.स.) । साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने आज सुंगल रोड़ अखनूर में अपने सत्संग की अमृत वर्षा से संगत को निहाल करते हुए कहा कि कभी ऐसी परिस्थिति आ जाए कि माता और स्त्री में एक को चुनना पड़े तो माता को नहीं छोड़ना। शास्त्रों में लिखा है कि कोई कहे कि साक्षात ब्रह्म दिखाओ तो माता-पिता को खड़ा कर देना।

मूर्खों के लक्षणों में भी साहिब ने कहा कि है कि जिस माता के पेट से जन्म लिया, उसका विरोध करे, वो मूर्ख है। जहाँ अपमान होता हो, वहाँ बार-बार जाए, वो मूर्ख है। जो नीच से दोस्ती करता है, वो भी मूर्ख है। जो किए हुए उपकार को स्वीकार नहीं करता है, वो भी मूर्ख है। जो नग्न होकर अपने शरीर के अंगों का प्रदर्शन करता है, वो भी मूर्ख है। जो अधिक गुस्सा करता है, वो भी मूर्ख है। जो पुरुषों से अधिक स्त्रियों से दोस्ती करे, वो भी मूर्ख है। ऊँचे पद पर बैठकर अहंकार करे, वो भी मूर्ख है। जो हमेशा हँसी मजाक करता रहे, वो भी मूर्ख है। जो दूसरों को दुखी देखकर हँसे, वो भी मूर्ख है।

साहिब जी ने आगे कहा कि आदमी मोक्ष चाहता है, पर पाप भी करना चाहता है, माँस भी खाना चाहता है। चाहे कितना भी पुण्य करे, पर जीव दया नहीं है तो बेकार है। एक पत्रकार ने मुझसे कहा कि हमारे देश में कितने ऋषि-मुनि आए, आप किसी का जिक्र ही नहीं कर रहे, केवल कबीर साहिब को लेकर चल रहे हैं। मैंने कहा कि दुनिया में बड़े-बड़े आए, अवतार भी आए, पर माता के पेट से जन्म लिया। केवल कबीर साहिब ने माता के पेट से जन्म नहीं लिया। और जाते समय भी उनका शरीर नहीं मिला, क्योंकि वो भौतिक शरीर लेकर नहीं आए थे।

उनकी शिक्षा को देखें, उनकी जीवनी को देखें तो धर्म के नाम पर लोगों को नहीं बाँटा। उनके शिक्ष्यों में हिंदु और मुसमान दोनों थे। हमारे देश को अंग्रेज, मुगल आदि किसी ने इतना नुकसान नहीं किया, जितना हमने खुद छुआछूत से अपने देश का किया। यह एक मानवीय अपराध है, ईश्वरीय अपराध है, धार्मिक अपराध भी है। क्योंकि आत्मा सबमें एक जैसी है। काशी हिंदुओं की धर्म नगरी है। वहाँ का सबसे बड़ा पंडित सर्वदानन्द था। उसने माता को कहा कि मेरा नाम सर्वजीत रखो, मैंने सबको जीत लिया है। माता ने कहा कि कबीर को जीता क्या। बोला-नहीं। बाद में वो कबीर साहिब का शिष्य हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान

   

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