कोटा के ट्रेचिंग ग्राउंड में बेकाबू आग, धुएं से घुटने लगा दम

कोटा, 17 मई (हि.स.)। स्मार्ट सिटी कोटा में कचरा संग्रहण के लिये नांता क्षेत्र में बनाये गये ट्रेचिंग ग्राउंड से कचरे के पहाड़ अब जहरीली गैसें उगल रहे हैं। इससे आसपास क्षेत्र में बस रही 20 हजार जनता में श्वसन संबंधी घातक बीमारियां फैलने का डर बना हुआ है। पिछले दो माह से यहां निरंतर कचरे में आग लगने से मीथेन व कार्बन डाइ ऑक्साइड जैसी खतरनाक गैसों का तेजी से फैलाव हो रहा है। इस परेशानी से यहां के नागरिक, महिलायें व बच्चे खांसी व फेंफडों की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।

नांता ट्रेचिंग ग्राउंड हटाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष नीतिन ने बताया कि गुरुवार रात को पूरे इलाके में धुंए का गुबार देख करणी नगर क्षेत्र के रहवासी घबराकर अपने घरों से बाहर निकल आये। देर रात दमकलों से आग बुझाई गई लेकिन लोग सांस लेने में तकलीफ महसूस करते रहे। समिति के योगेंद्र गुप्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान समस्या का समधान नहीं होने से क्षेत्रवासियों ने मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा की थी, तब मुख्यमंत्री भजनलाल एवं लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने लोगों को विश्वास दिलाया था कि इसे स्थायी रूप से गैर आवासीय क्षेत्र में शिफ्ट करवा दिया जायेगा। जिससे नागरिकों को राहत मिली थी, लेकिन 20 दिन से लगातार यहां आग जलने से धुएं के बादल छाये रहते हैं।

समिति ने जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर मांग की कि शहर के सबसे बडे़ ट्रेचिंग ग्राउंड में आग बुझाने के लिये एक दस्ता व दो हाई डेनसिटी दमकलें तैनात हों। प्रशासन ने यहां बायो कलर व स्प्रिंग कलर सिस्टम लगाये हैं, वे बेकार साबित हुये हैं। जिला प्रशासन एक कमेटी गठित करे जिससे यह पता चल सके कि यहां बार-बार आग लगाने वाले तत्व कौन हैं, उनके खिलाफ कडी कार्रवाई हो।

नागरिकों ने बताया कि नदी पार क्षेत्र में नगर विकास न्यास ने अभेडा बायोलॉजिकल पार्क विकसित किया है, जिसमे सभी तरह के वन्यजीव रहते हैं। पर्यटन स्थल अभेडा महल के सरोवर में जलीय जीव-जन्तुओं पर भी घातक जहरीली गैसों का दुष्प्रभाव हो रहा है। चूंकि नदी पार कोचिंग क्षेत्र के सैकडों मैस व हॉस्टल से रोज निकलने वाली खाद्य सामग्री की दूषित गंदगी इसी जगह एकत्रित हो रही है। इस दुर्गंध से लोगों का खुली हवा में सांस लेना भी दुश्वार हो रहा है। नागरिकों ने गुरूवार रात मानव श्रंखला बनाकर उनके स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड को तत्काल रोकनेे की मांग की है।

ट्रेचिंग ग्राउंड से भूजल भी दूषित-

वरिष्ठ पर्यावरणविद् आर.एन. गुप्ता ने बताया कि इस विशाल ट्रेचिंग ग्राउंड पर सडे हुये कचरे के ढेर पर बरसाती पानी बिरने से भूजल बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इसी भूजल की आसपास की 15 से अधिक आवासीय बस्तियों में बोरवेल व अन्य साधनों से पेयजल आपूर्ति हो रही है। इससे कई गंभीर बीमारियां फैल सकती हैं। पर्यावरण संतुलन के लिये ट्रेचिंग ग्राउंड पर कचरा प्रबंधन व उससे सूखा-गीला कचरा अलग संग्रहित कर दूरगामी योजनायें बनाई जायें। इसके लिये इंदौर नगर निगम ने उपयोगी मॉडल प्रस्तुत किया है। कचरे से निकलने वाली जहरीली मीथेन गैस से आम जनता में श्वसन संबंधी संक्रामक बीमारियां फैल रही है, जो चिंताजनक है। जिला प्रशासन को एक कमेटी गठित कर इस विकराल समस्या का वैज्ञानिक समाधान ढूंढना होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/अरविंद/संदीप

   

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