बंगाल भाजपा में नेतृत्व के लिए तकरार के आसार, दिलीप घोष के बयान से मिली अटकलों को हवा

कोलकाता, छह जून (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई में तकरार बढ़ने के आसार हैं। प्रेदेश इकाई में दिख रही दरार के बीच दिग्गज नेता दिलीप घोष के बयान ने पार्टी में पुराने बनाम नये को लेकर नयी बहस शुरू होने की अटकलें तेज कर दी है।

घोष ने एक्स पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान का हवाला देते हुए लिखा, ‘‘एक चीज हमेशा ध्यान रखिये कि पार्टी के पुराने से पुराने कार्यकर्ता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर जरूरत पड़े तो दस नये कार्यकर्ताओं को अलग कर दीजिये क्योंकि पुराने कार्यकर्ता हमारी जीत की गारंटी हैं। नये कार्यकर्ताओं पर बहुत जल्दी विश्वास नहीं करना चाहिए।’’

बर्धमान-दुर्गापुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस के कीर्ति आजाद ने घोष को करीब 1.38 लाख मतों से हराया है, जिसके बाद भाजपा नेता ने यह टिप्पणी की है।

घोष ने संवाददाताओं से यह भी कहा कि अब यह खुलकर सामने आ गया है कि उन्हें उनके पुराने निर्वाचन क्षेत्र के बजाये नयी सीट से चुनाव लड़ने के लिए भेजना एक गलती थी।

प्रदेश इकाई के पूर्व अध्यक्ष और मेदिनीपुर से सांसद रहे घोष को बर्धमान-दुर्गापुर सीट से टिकट दिया गया था, जहां तृणमूल कांग्रेस से उनके कड़े मुकाबले की उम्मीद थी।

घोष को बर्धमान-दुर्गापुर लोकसभा सीट से सांसद एस.एस. अहलूवालिया की जगह चुनाव मैदान में उतारा गया था। अहलूवालिया को आसानसोल से टिकट दिया गया था। भाजपा ने आसनसोल दक्षिण से मौजूदा विधायक अग्निमित्र पॉल को घोष की जगह मेदिनीपुर से लोकसभा प्रत्याशी बनाया था।भाजपा के तीनों प्रत्याशियों को हाल ही में संपन्न चुनावों मेंतृणमूल कांग्रेस उम्मीदवारों के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा।

पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने उम्मीदवारों के फेरबदल पर अंतिम मुहर लगाई थी और ऐसा माना जा रहा है कि राज्य में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का इसमें बहुत बड़ा हाथ है। अधिकारी 2021 में विधानसभा चुनावों से पहले तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।

घोष ने संवाददाताओं से कहा था, ‘‘अब यह खुलकर सामने आ गया है कि दुर्गापुर से मुझे चुनाव लड़ाने का फैसला एक गलती थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी ने दुर्गापुर से जीतने का जो कार्य मुझे सौंपा था, उसमें मैं विफल रहा। हम देखेंगे कि कहां गलती हुई। मैं इस पार्टी में खाली हाथ आया था और इन नतीजों ने एक बार फिर मुझे खाली हाथ ही कर दिया। देखते हैं यहां से चीजें कहां जाती हैं।’’ दिलीप घोष ने यह भी कहा था कि अब वे राज्य भर का दौरा कर पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का प्रयास करेंगे।

वहीं इस घटनाक्रम पर तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, ‘‘ मैं हमेशा से दिलीप घोष को एक सच्चा भाजपा कार्यकर्ता मानता हूं। यह उनके लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी पार्टी उनकी ही विशेषताओं को पहचानने में विफल रही। हमने उन्हें हराया यह अच्छी बात है लेकिन वह अपनी पार्टी से बेहतर की अपेक्षा रखते हैं।’’

हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश

   

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