बिबेक देबरॉय के निधन से देश के आर्थिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक जीवन में एक बड़ा शून्य हो गया: आलोक कुमार

नई दिल्ली, 2 नवंबर (हि.स.)। बिबेक देबरॉय की मृत्यु पर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा है कि उनके असमय निधन से भारत के आर्थिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक जीवन में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है। वह एक अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने तथाकथित समाजवादी व्यवस्था को चुनौती दी और अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने राजीव गांधी इंस्टीट्यूट फॉर कंटेम्परेरी स्टडीज (आरजीआईसीएस), नीति आयोग के सदस्य, प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएम-ईएसी) के अध्यक्ष, कई राज्य सरकारों सहित प्रमुख अनेक संस्थानों के साथ काम किया। उन्होंने कानून और न्यायपालिका, श्रम और रेलवे सहित विभिन्न क्षेत्रों में मार्गदर्शन किया।

आलोक कुमार ने कहा कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि देबरॉय ने संस्कृत भाषा में विशेषज्ञता प्राप्त की। देबरॉय ने महाभारत का अध्ययन किया, उसमें मूल एक लाख श्लोकों को छांटा, प्रक्षिप्त अंशों को अलग किया और ग्रंथ का अंग्रेजी में अनुवाद किया। यह दस खंडों और 22 लाख 50 हजार शब्दों की एक विशाल कृति है। देबरॉय ने 18 पुराणों के 4,00,000 श्लोकों का अनुवाद किया। देबरॉय ने 11 उपनिषदों का भी अंग्रेजी में अनुवाद किया है। इस प्रकार देबरॉय प्राचीन संस्कृत साहित्य और आधुनिक आर्थिक अध्ययन, दोनों में अग्रणी रहे। उनके निधन से न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व को अपूरणीय क्षति हुई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / कुमार अश्वनी

   

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