बांग्लादेश के हिन्दू धर्मस्थलों को कट्टरपंथियों से बचाया जाए: स्वामी अधाेक्षजानंद

-शंकराचार्य ने बांग्लादेश सरकार से इस्काॅन के साधु

चिन्मय दास की रिहाई की मांग की

लखनऊ, 2

दिसंबर (हि.स.)। बांग्लादेश में हिन्दू धार्मिक स्थलों और सनातनियों पर हो रहे

हमलों को लेकर पूरे देश में आक्राेश है। इस पर शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ जी

महाराज ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है, वह बांग्ला की संस्कृति के

विरुद्ध है। वहां की सरकार को बांग्लादेश काे एक देश की तरह चलाना चाहिए। उन्हाेंने बांग्लादेश के हिन्दू धर्मस्थलों को कट्टरपंथियों से बचाने और गिरफ्तार किए चिन्मय दास काे तत्काल रिहा करने की मांग बांग्लादेश की सरकार से की है।

शंकराचार्य

ने साेमवार काे हिन्दुस्थान समाचार से फोन पर वार्ता के दौरान कहा कि बंगाल देश में हमारे

सैकड़ों मठ मंदिर हैं, शक्ति पीठ हैं। वहां निरंतर पाठ चलते रहते हैं। भारत के भी

सनातनी लोग वहां जाया करते हैं। डेढ़ वर्ष पूर्व मैं भी वहां गया था। हर जगह हमारी

यात्रा हुई और यात्रा सफल रही। बहुत अच्छे से वहां के लोगों ने स्वागत किया था।

स्वागत करने वालों में सभी धर्मों के लोग शामिल थे। इसीलिए कहता हूं कि मौजूदा समय

में जो हो रहा है, वह बांग्लादेश की संस्कृति नहीं है।

शंकराचार्य

ने कहा कि यह कट्टरपंथी कूटनीतिक षडयंत्र का हिस्सा है। यह बेनकाब होना चाहिए। बांग्ला

सरकार को अपनी नीयत साफ करनी चाहिए। एक देश को देश की तरह चलाना चाहिए। उन्होंने

कहा कि मैं तो भारत के विदेश मंत्रालय को भी कहूंगा कि सजग रहें और त्वरित एक्शन

लिया जाए। स्वामीजी

ने कहा कि बांग्लादेश सरकार चिन्मय दास को तत्काल रिहा करे। वह बहुत ही अच्छे संत

हैं। समाज का कल्याण करने वाले हैं।

उल्लेखनीय

है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ कट्टरपंथियों के हमले बढ़ते जा रहे हैं। इस्कान मंदिर के संत चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद दो अन्य पुजारियों काे भी गिरफ्तार किया जा चुका है। बांग्लादेश के साथ ही भारत में भी इसका विरोध हो रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिलीप शुक्ला

   

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