रक्षा व पालन संकल्प से ब्रजमंडल में संपूर्ण गौरक्षा की जा सकती है कल्पना : गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी 

-श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर गोपाष्टमी पर हुआ गौवंश पूजन, श्रीकेशवदेव मंदिर बना गौचारण अभ्यारण्य

मथुरा, 09 नवम्बर(हि.स.)। गोपाष्टमी अर्थात यशोदानन्दन भगवान श्रीकृष्ण का वह दिन जब उन्होंने प्रथम गौचारण हेतु प्रस्थान किया। इस अवसर पर शनिवार को श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में विराजमान ठाकुर श्रीकेशवदेवजी के गोप स्वरूप में दर्शन हुए। गोपाष्टमी के अवसर पर श्रीकेशवदेव मंदिर के प्रांगण ने जैसे गौचारण-अभ्यारण्य का साक्षात स्वरूप ही गृहण कर लिया। यमुना पुलिन में गऊओं के पीछे हाथ में लकुटी लिये ग्वालबालों संग बालकृष्ण का स्वरूप व वृक्षावलियों की सज्जा द्वापर के उस अलौकिक दृश्य को साक्षात कर रही थी, जिसके दर्शन हेतु भक्तों की अपार भीड़ का ताँता श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर प्रातः से ही मंदिर के पट बन्द होने तक निरन्तर चलता रहा।

दूसरी ओर संस्थान द्वारा परिसर में ही संचालित गौशाला में दोपहर से गौ-पूजन का जो काम आरंभ हुआ वह अपरान्ह तक निरन्तर चलता रहा। इस अवसर पर गौशाला परिसर को गोबर से लीप कर गऊओं को स्नान उपरांत उनके सींगों पर सुगंधित तेल का लेपन एवं मेंहदी लगाकर अंगार किया गया। गौमाता का पूजन संस्थान की प्रबंध समिति के सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी द्वारा वैदिक रीति से किया गया, पूजन के उपरान्त सभी गऊओं, गौवंशों को चने की दाल व गुड़ का भोग अर्पित कर सभी गौसेवकों को वस्त्रादि भेंट किये गये। गोपाष्टमी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुये संस्थान की प्रबंध समिति के सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि गोपाष्टमी के दिन ही भगवान कृष्ण द्वारा प्रथम गौचारण लीला किये जाने से ब्रज के लिये यह गौ-महोत्सव का दिन है, गौ की वर्तमान दशा पर खेद व्यक्त करते हुये श्रीचतुर्वेदी ने कहा कि प्रत्येक ब्रजवासी को गोपाष्टमी के दिन एक गाय की रक्षा व पालन का संकल्प लेने से ब्रजमण्डल में संपूर्ण गौरक्षा की कल्पना की जा सकती है जो अत्यावश्यक है तथा भारत सरकार को भी कानून बनाकर संपूर्ण देश में गौवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध घोषणा कर गौमांस के निर्यात पर पूर्ण विराम लगाना चाहिए। गऊ-पूजन कार्यक्रम में संस्थान के अधिकारी, पूजाचार्य, गौपालक एवं अन्य संस्थान कर्मचारियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

हिन्दुस्थान समाचार / महेश कुमार

   

सम्बंधित खबर