भागलपुर, 5 दिसंबर (हि.स.)। आज के भाग दौड़ से भरी जिंदगी में आदमी खुद के लिए समय नहीं निकाल पाता है, जिस कारण इंसान तरह तरह की बीमारियों से ग्रसित होता जा रहा है लेकिन अपने घर में ही योग को अपनाकर लोग स्वस्थ रह सकते हैं। इन दिनों माइग्रेन की बीमारी आम लोगों में फैलती जा रही है। सर्दी के मौसम में यह बीमारी और भी अधिक पीड़ादायक हो जाती है। योग शिक्षिका रीतिका बताती है कि माइग्रेन सामान्य रूप में एक प्रकार का सिरदर्द है जो आम सिरदर्द की अपेक्षा कुछ अधिक पीड़ाजनक होती है। माइग्रेन में हमारे सिर के किसी एक तरफ में कभी धीमा या फिर कभी तेज दर्द बना रहता है। माइग्रेन का दर्द एक आम इंसान को चंद घंटों से लेकर अनेक दिनों तक परेशान करने के क्षमता रखता है। यह माना जाता है कि माइग्रेन से संबंधित दर्द होने के अनेक कारण हो सकते हैं। जिनमें से तनाव, मस्तिष्क और आस-पास के ऊतकों में रक्त संचरण में परिवर्तन, मस्तिष्क में तंत्रिका मार्ग और रसायनों में परिवर्तन, नींद की कमी, मौसम में बदलाव प्रमुख रूप से शामिल हैं।
रीतिका बताती है कि चिकित्सीय भाषा में, माइग्रेन का पूर्णतः इलाज संभव नहीं है। माइग्रेन को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। माइग्रेन को नियंत्रित करने में योग काफी मददकारी साबित हो सकता है पश्चिमोत्तानासन माइग्रेन से संबंधित पीड़ा को दूर करने के लिए बेहद कारगर आसन है। यह तनाव से राहत दिलाता है और दिमाग को शांत करने में मदद करता है। सेतुबंध आसन से शरीर में रक्त-चाप नियंत्रण में रहता है जिससे दिमाग शांत रहता है। साथ ही, यह चिंता और तनाव दूर करने में भी फायदेमंद है। इस आसन रक्त एवं ऑक्सीजन को पर्याप्त मात्रा में मस्तिष्क की ओर पहुंचाते हैं। जिससे माइग्रेन का दर्द कम हो जाता है। अधोमुख श्वानासन मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और माइग्रेन दर्द से आराम दिलाता है।
मार्जरासन अभ्यास से दिमाग और मांसपेशियों को आराम मिलता है। यह आसान मनुष्य की सांस लेने की क्षमता में भी सुधार करता है और तनाव दूर करने में मदद करता है। बालासन के रोजाना अभ्यास से तनाव, अवसाद की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस आसन से शरीर के अनेक हिस्सों में खिंचाव उत्पन्न होता है। ऐसे में तंत्रिका तंत्र शांत हो जाता है। इससे माइग्रेन का दर्द नियंत्रित रहता है। शवासन पूर्ण विश्राम की अवस्था है। शवासन के अभ्यास से चंद मिनटों में ही मन को चंद मिनटों आराम का अनुभव होने लगता है। योगाभ्यास शरीर और मन के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। फिर भी, इसे दवा के बदले आजमाना उचित नहीं है, क्योंकि योगाभ्यास के परिणाम एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। जैसे, आपका चिकित्सकीय इतिहास परिणाम को प्रभावित कर सकता है कि योग आपके लिए कितना लाभकारी साबित हुआ है। अगर कोई शारीरिक या मानसिक खामी हो, तो चिकित्सकीय सलाह के पश्चात योगाभ्यास को किसी विशेषज्ञ की देख-रेख में ही करना चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर