सहयोगी दलों के साथ बात करना सीखें अखिल: कांग्रेस

गुवाहाटी, 02 नवंबर (हि.स.)। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मेहंदी आलम बोरा ने विधायक अखिल गोगोई को नसीहत दी है कि सहयोगी दलों के साथ किस प्रकार बातचीत की जाए इसे अखिल गोगोई पहले सीख लें। कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि अखिल गोगोई राजनीति करना नहीं जानते हैं। उन्होंने हमेशा ही आंदोलन किया है और वह आंदोलन करना ही जानते हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस राज्य की जनता से एक नहीं अनेक बार क्षमा याचना कर सकती है, लेकिन अखिल गोगोई के निर्देश पर नहीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी राजनीतिक तौर पर क्या फैसला लेगी, इसका निर्णय पार्टी स्वयं करती है। किसी क्षेत्रीय दल की नसीहत पर कांग्रेस में निर्णय नहीं लिया जाता है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि अखिल गोगोई को राजनीति के बारे में कुछ भी पता नहीं है।

पत्रकार सम्मेलन के दौरान कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद आरपी शर्मा ने कहा कि अखिल गोगोई एक तरफ गठबंधन की बात करते हैं तो दूसरी तरफ आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की 126 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करके 25 सीटें जीतने का दावा करते हैं। उन्होंने कहा कि अखिल गोगोई को संयम बरतना चाहिए। इस दौरान कांग्रेस के नेताओं ने अखिल गोगोई पर कई आरोप लगाए।

उल्लेखनीय है कि बीते लोकसभा चुनाव के मौके पर भाजपा उम्मीदवारों को हराने के लिए प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व में राज्य में महागठबंधन बनाया गया था। इस महागठबंधन में शामिल सभी दलों के नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा इतनी ऊंची थी कि सभी एक दूसरे के विरुद्ध चुनाव लड़ने लगे। परिणाम यह हुआ कि राज्य की कुल 14 लोकसभा सीटों में से 11 सीटें भाजपा नेतृत्व वाली गठबंधन को मिल गयी। लोकसभा चुनाव परिणाम से नसीहत लेने की जगह गठबंधन के नेता आसन्न विधानसभा उपचुनाव में सीटों को लेकर एक बार फिर से टकराने लगे। महज डेढ़ वर्ष के लिए हो रहे राज्य की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में ही गठबंधन का असली स्वरूप सामने आ गया।

जहां गठबंधन के मुद्दे पर कांग्रेस के अंदर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा और पार्टी सांसद तथा पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र गौरव गोगोई के बीच का संघर्ष सरेआम हो गया। कांग्रेस अध्यक्ष ने गठबंधन के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, गठबंधन के अन्य घटक दल भी सीटों को लेकर एक दूसरे के विरुद्ध मैदान में उतर आए। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विपक्षी दल 2026 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कहां तक शिकस्त दे पाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश

   

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