ममता की मूरत को सहेजे मंदिर और शिवाला हूँ मैं... : प्रिया
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- Oct 09, 2025
धौलपुर, 9 अक्टूबर (हि.स.)। अखिल भारतीय मीरा साहित्य संगम के तत्वावधान में बुधवार रात को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन में देश के कई ख्याति नाम कवियों ने राजनीति, श्रृंगार, ओज, भ्रष्टाचार तथा हास्य को विषय बनाते हुए काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन का आगाज़ युवा कवि कल्याण त्यागी ने सरस्वती वंदना से किया। कवि सम्मेलन के संयोजक वरिष्ठ कवि एवं गीतकार विकल फरुखाबादी ने अपना चर्चित प्रतिनिधि गीत मेरा गीत अगर तुम गाते,मेरा दर्द अमर हो जाता.. पेश किया। भरतपुर से आई कवयित्री प्रिया शुक्ला ने नारी की महिमा तथा महिला सशक्तीकरण को रेखांकित करते हुए अपनी चर्चित रचना ममता की मूरत को सहेजे मंदिर और शिवाला हूँ मैं... प्रस्तुत कर खूब समा बांधा।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद वीरेंद्र त्यागी ने जीवन के चलन को अपने काव्य का विषय बनाते हुए मुक्तक जीने के लिए मरते हैं, और मरने के लिए जिये जाते हैं... पेश किया। कवि बाबूलाल सागर ने विरह गीत बैरन पवन चली पुरवाई... की मनोहारी प्रस्तुति दी। कवि डॉ. राकेश दीक्षित ने श्रृंगार की रचना तुम्हारी प्रीत की हाला पीकर में झूम लेता हूँ.. पेश की,जिसे श्रोताओं ने करतल ध्वनि से सराहा। कवि सम्मेलन में व्यंगकार जितेंद्र जिद्दी ने हास्य की पैरोडी,ओज के कवि आकाश परमार ने राणा सांगा की वीरता,कवि श्रीराम पटसरिया ने गुरु की महिमा,कवयित्री रजनी शर्मा ने राधा-कृष्ण के शास्वत प्रेम,कवि प्रेम प्रसून ने मां शारदा की भक्ति,कवि अपूर्व माधव ने चंबल की महिमा,कवि श्रीराम गोस्वामी ने गुरु की महिमा,कवि मुरली मनोहर मंजुल ने मानव धर्म तथा कवि विवेक कुशवाहा ने देश प्रेम को समर्पित काव्य पाठ किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रदीप



