मुख्यमंत्री ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के समक्ष उठाए बिजली रॉयल्टी और शानन प्राेजेक्ट के मुद्दे
- Admin Admin
- Nov 07, 2024
मुख्यमंत्री और केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने कई परियाेजनाओं की प्रगति की समीक्षा की
शिमला, 7 नवंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने केंद्रीय ऊर्जा व शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल से बिजली रॉयल्टी, आवास, राज्य की चार विद्युत परियाेजनाओं और शानन प्राेजेक्ट काे लेकर चर्चा की। केंद्रीय मंत्री ने इन विषयाें के सभी पहलुओं के अध्ययन के बाद शीघ्र निर्णय लेने आश्वासन दिया।
गुरुवार को मुख्यमंत्री सुक्खू ने शिमला में ऊर्जा और शहरी विकास की परियोजनाओं को लेकर केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री मनाेहर लाल
के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश की चार विद्युत परियोजनाओं में हिस्सेदारी और शानन प्रोजेक्ट को लेकर राज्य का पक्ष रखा। बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार की ऊर्जा नीति के अनुरूप रॉयल्टी का मामला उठाया। उन्होंने नीति की रूपरेखा की जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत विद्युत परियोजनाओं में पहले 12 वर्षों के लिए 12 प्रतिशत, इसके उपरांत 18 वर्षों के लिए 18 प्रतिशत तथा आगामी 10 वर्षों के लिए 30 प्रतिशत रॉयल्टी की अनिवार्यता की गई हैै। मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि निजी कंपनियां पहले से इस नीति का अनुसरण कर रही हैं और केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को भी इसकी अनुपालना करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) प्रदेश की ऊर्जा नीति की अनुपालना नहीं करती है, तब इस स्थिति में हिमाचल प्रदेश सरकार 210 मेगावाट लुहरी चरण-1, 382 मेगावाट सुन्नी परियोजना और 66 मेगावाट धौलासिद्ध जल विद्युत परियोजना को अपने अधीन लेने के लिए तैयार है। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इन परियोजनाओं पर हुए खर्च प्रतिपूर्ति एसजेवीएनएल को देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि एसजेवीएनएल ने कार्यान्वयन समझौता हस्ताक्षरित किए बिना इन परियोजनाओं का निर्माण शुरू कर दिया है। उन्होेंने कहा कि प्रदेश के लोगों को राज्य के जल संसाधनों पर उचित हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। इस मामले पर केन्द्रीय मंत्री ने निगम के अधिकारियों को 15 जनवरी, 2025 तक अन्तिम प्रतिक्रिया देने के निर्देश दिए हैं।
इस बैठक में मुख्यमंत्री सुक्खू ने मंडी जिले की 110 मेगावाट शानन परियोजना का पंजाब से अधिग्रहण सुनिश्चित करने में केन्द्र सरकार की सहायता के लिए आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस परियोजना की लीज अवधि समाप्त हो गई है। उन्होंने केन्द्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को इस परियोजना का हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शानन परियोजना का क्षेत्र कभी भी पंजाब का हिस्सा नहीं रहा है, इसलिए यह परियोजना पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के अधीन नहीं आती है। इस मामले पर केन्द्रीय मंत्री लाल ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि वे इस अधिनियम की समीक्षा कर इसके अनुसार कार्रवाई करना सुनिश्चत करेंगे।
मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार को भाखड़ा बांध प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) को नवंबर, 1996 से अक्टूबर, 2011 तक की अवधि के लिए प्रदेश को बकाया 13066 मिलियन यूनिट बिजली एरियर जारी करने के निर्देश देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के हिमाचल प्रदेश के हक में आए निर्णय के बावजूद प्रदेश को अभी तक संबंधित राज्यों के द्वारा उचित हिस्सा नहीं दिया है। केन्द्रीय मंत्री ने इस मामले के संदर्भ में आम सहमति बनाने के लिए सभी हितधारक राज्यों के साथ एक संयुक्त बैठक बुलाने का आश्वासन दिया।
बैठक में मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री ने केन्द्र सरकार की वित्त पोषित स्वच्छ भारत पोषण, अमृत, शहरी आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित विभिन्न योजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए केन्द्र से उदार वित्तीय सहायता का आग्रह किया। केन्द्रीय मंत्री ने प्रदेश को केन्द्र सरकार से हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया।
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि प्रदेश की ओर से जो विषय आए हैं, उन पर बैठक में चर्चा हुई है। बीबीएमबी और शानन प्रोजेक्ट काे लेकर हिमाचल प्रदेश का जो विषय है, उस विषय पर आगे बढ़े रहे हैं। शानन परियोजना को हिमाचल प्रदेश को वापस देने संबंधी एक सवाल के जवाब में केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 के तहत जिसका भी अधिकार है, उसको मिलना चाहिए। केंद्र का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है और मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है। शानन प्रोजेक्ट में हम किसी की फेवर करने के पक्ष में नहीं है, जो न्यायपूर्ण होगा, उसे करेंगे। ग्रीन बोनस मामले में कितना लाभ मिलना चाहिए। इसमें सभी हिली एरिया के लिए नीति बनानी होगी। वाटर सेस मामले में कोर्ट ने मना किया है। अभी कोई राज्य नहीं ले रहा है। बावजूद इसके कोर्ट का मामला है अंतिम फैसला जो होगा सबको मान्य होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा