जनप्रतिनिधियों के समन्वय से कराएं रोड रिस्टोरेशन और जलापूर्ति का काम : मुख्यमंत्री
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- Dec 02, 2024
-मुख्यमंत्री
का निर्देश- जल जीवन मिशन की परियोजनाओं में गुणवत्ता से समझौता नहीं, थर्ड पार्टी सत्यापन भी कराया जाए
लखनऊ, 02 दिसंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर नल से जल पहुंचाने की परियोजना के
कार्यों के थर्ड पार्टी ऑडिट कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि हर
परियोजना के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किये जायें जो स्थानीय जनप्रतिनिधियों के
साथ समन्वय बनाकर सभी काम समय से पूरा कराएं।
सोमवार को
हर घऱ जल योजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन जनहित
से जुड़े इन कार्यों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। जलापूर्ति के
कार्यों के चलते खराब हुई सड़कों के रिस्टोरेशन का काम समय से कराया जाए और
जनप्रतिनिधियों से भी आवश्यक मार्गदर्शन लिया जाए। इस आधार पर ही विभागीय
अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी।
उन्होंने
अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजनाओं में क्वालिटी हर हाल में सुनिश्चित हो।
इसका थर्ड पार्टी सत्यापन भी कराया जाए। साथ ही हर प्रोजेक्ट पर नोडल अधिकारी
नियुक्त हों, जो
कार्यों की क्वालिटी व समयबद्धता सुनिश्चित करें। जल जीवन मिशन के तहत परियोजना का
उद्देश्य है कि लोगों को शुद्ध पेयजल प्राप्त हो, ऐसी सभी योजनाएं बिना रुकावट के अनवरत
चलती रहनी चाहिए। बैठक में
मुख्यमंत्री ने बुंदेलखंड व विंध्य क्षेत्र सहित पूरे प्रदेश में जल जीवन मिशन के
कार्यों के बारे में जानकारी ली।
जल जीवन
मिशन के तहत स्वीकृत हैं 40951 योजनाएं
मुख्यमंत्री
को जल जीवन मिशन के अंतर्गत सामुदायिक अंशदान के संबंध में अवगत कराया गया कि जल
जीवन मिशन के तहत 40951 योजनाएं
स्वीकृत हैं। इनकी कुल कार्य लागत 152521.82 करोड़ रुपये है। इसमें केंद्रांश 71714.68 व राज्यांश 71714.68 करोड़ रुपये है। इन विलेज
इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत के सापेक्ष सामुदायिक अंशदान 9092.42 करोड़ रुपये बनता है। अधिकांश योजनाओं
को सोलर आधारित बनाए जाने के कारण कुल लागत में 13344 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। इसके
सापेक्ष केंद्रांश के रूप में 6338 करोड़ रुपये अतिरिक्त रूप से प्राप्त होगा। अनुरक्षण व संचालन मद में राज्य
सरकार की योजना काल में लगभग एक लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।
उत्तर
प्रदेश में सौर ऊर्जा पर आधारित हैं 33229 योजनाएं
मुख्यमंत्री
को अवगत कराया गया कि उत्तर प्रदेश में 33229 योजनाएं सौर ऊर्जा पर आधारित हैं। इन
पर लगभग 900 मेगावाट
के सोलर पैनल लगाए गए हैं। केंद्र सरकार द्वारा इस इनोवेशन को बेस्ट प्रेक्टिसेज
के रूप में चिह्नित किया गया है। सौर ऊर्जा आधारित योजनाओं के निर्माण के कारण
प्रतिवर्ष लगभग 13 लाख
मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन कम होगा। बैठक में
जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, राज्यमंत्री रामकेश निषाद आदि मौजूद
रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / दिलीप शुक्ला