प्रसिद्ध कुमाऊंनी कवि मोहन का कुमाऊं विवि में ऑनलाइन व्याख्यान, पर्यावरण संरक्षण पर जोर

नैनीताल, 05 दिसंबर (हि.स.)। कुमाऊं विश्वविद्यालय के अतिथि व्याख्याता निदेशालय एवं एलुमनी सेल द्वारा राज्य के प्रसिद्ध कुमाउनी कवि मोहन चंद्र जोशी का ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित किया गया। जोशी ने पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए कहा कि प्रकृति का हर पहलू मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने सुबह के समय को प्रकृति का सबसे सुंदर और शांतिपूर्ण क्षण बताया तथा इस दौरान पर्यावरण के साथ आत्मीय जुड़ाव की आवश्यकता पर बल दिया।

मोहन चंद्र जोशी ने अपनी कविताओं के माध्यम से पहाड़ों के बदलते पर्यावरण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि चिड़ियों की संख्या में कमी, तापमान में वृद्धि, और सामाजिक परिवेश में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। उन्होंने पानी, स्वच्छ हवा और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

उल्लेखनीय है कि गरुड़ बैजनाथ जनपद बागेश्वर निवासी मोहन जोशी हिंदी एवं कुमाउनी के सुप्रसिद्ध कवि हैं। वह पूर्व में बैजनाथ दैनिक समाचार पत्र के प्रकाशक एवं संपादक रहे हैं। उनकी कविताएं 1989 से प्रसारित हो रही हैं और थुपुड़, हुक धैंरे, केवल आपके लिए, मोहन-गीता, कुमाऊनी श्रीरामचरितमानस-सुंदरकांड (2014), ऋग्वेद का कुमाऊनी भावानुवाद, गरुड़ पुराण और शिव कब्या आदि पुस्तकें लिख चुके हैं। उनके कृतित्व पर वर्ष 2012 में शोध कार्य भी किया जा चुका है तथा उन्हें कई मंचों से सम्मानित भी किया जा चुका है।

कार्यक्रम का संचालन निदेशक प्रो. ललित तिवारी ने किया। ऑनलाइन व्याख्यान में एलुमनी सेल के अध्यक्ष डॉ. बहादुर सिंह कालाकोटी, कुलसचिव डॉ. मंगल सिंह मंद्रवाल, लज्जा भट्ट, हेम दुबे, पीसी पंत, हेमंत बिष्ट, प्रो. चित्रा पांडेय, डॉ. युगल जोशी, नवीन पांडेय, प्रकाश, डॉ. संतोष उपाध्याय, नंदन बिष्ट, सुमिता सिंह, कृष्ण मेहरा और रूबी सिंह सहित 60 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

   

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