धौलपुर, 2 दिसंबर (हि.स.)। मधुकर सेवा संस्थान धौलपुर ने बाड़ी में भगवान बिरसा मुण्डा के जन्म के 150 वर्ष पूर्ण होने पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई।
इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद राजेश मीणा ने कहा कि बिरसा मुण्डा ने स्वतन्त्रता संग्राम में आदिवासी लोगों को संगठित किया और तीर कमान के बल पर अंग्रेजों को परास्त किया। मात्र 25 वर्ष के जीवनकाल में बिरसा मुण्डा ने देश के लिए स्वयं का बलिदान कर दिया। आदिवासी लोगों ने बिरसा मुण्डा के त्याग और संघर्ष के कारण उन्हें भगवान के रूप में मान्यता दी। बिरसा मुण्डा ने हिन्दुओं में धर्मान्तरण को रोका और अबुआ दिशोम यानि हमारा देश और अबुआ राज यानि हमारा राज नारे का प्रयोग किया।
प्रोफेसर एमके सिंह ने कहा कि बिरसा मुण्डा भारत में स्वतन्त्रता के लिए लोगों को जागृत करने के लिए संघर्ष करते रहे। महज 20 साल की उम्र में उन्होंने अंग्रेजों की जमींदारी और राजस्व व्यवस्था के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। आध्यात्मिक प्रवचनकर्ता गोविन्द सिंह मीणा ने कहा कि जो महापुरुष अपने जीवन में चारित्रिक बल के आधार पर समाज मौर देश के हैं, उन्हें भगवान की श्रेणी में लिए सर्वस्व त्याग देते हैं रखा जाता है। बिस्सा मुण्डा में दैवीय शक्ति विद्यमान होने के कारण आमजन की समस्याओं के समाधान करने की विलक्षण क्षमता थी। आरंभ में मधुकर सेवा संस्थान के सदस्य अनुराग शर्मा ने विचार गोष्ठी की प्रस्तावना प्रस्तुत की और अतिथियों ने भारत माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर विचार गोष्ठी का शुभारम्भ किया। मधुकर सेवा संस्थान के सदस्य रामअठत्यार सिंह, भगवानदास बंसल एवं अखिलेश पाराशर ने अतिथियों को श्रीफल और अंगवस्त्र भेंटकर अभिनन्दन किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रदीप