संस्कृति के संरक्षण से भारतीय भाषाओं को मिलेगा बढ़ावा : प्रो. स्मिता 

हरिद्वार, 09 नवंबर (हि.स.)। आईआईटी रुड़की के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय की प्रोफेसर डॉ. स्मिता झा ने कहा कि संस्कृति के संरक्षण से भारतीय भाषाओं को बढ़ावा मिलेगा। हिंदी भाषा में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली का निर्माण देश के लिए एक शुभ संकेत है।

प्रोफेसर झा हरिओम सरस्वती पीजी कॉलेज धनौरी में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग भारत सरकार की ओर से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्र को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति आज के समय की जरूरत है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. रजनीश कुमार मिश्रा ने कहा कि मीडिया माध्यमों के लिए नई तकनीकी शब्दावली का निर्माण एक सार्थक पहल है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. वीरेंद्र बर्थवाल ने वर्ण और वाक्य विन्यास के बारे में जानकारी दी। ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय देहरादून की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मी आर चौहान ने कहा कि भाषाएं कभी भी एक दूसरे की शत्रु नहीं होतीं। भारतीय भाषाओं का विकास समानांतर हुआ है।

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. दिनेश चंद्र चमोला ने कहा कि शब्दों का सफर अनवरत जारी है। अलग-अलग भाषाओं में शब्दों के विभिन्न अर्थ हैं। अध्यक्षता कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अजयवीर सिंह पुंडीर ने कहा कि दूरस्थ और अति पिछड़े क्षेत्र में देश भर के विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया जाना एक सुखद संयोग है। कार्यक्रम को बाल कल्याण समिति हरिद्वार की अध्यक्ष अंजना सैनी, हरिओम सरस्वती पीजी कॉलेज प्रबंध समिति की अध्यक्ष सुमन देवी, वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के सहायक वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. आकाश मोहन रावत, लेखाकार रमेश पाल, वरिष्ठ पत्रकार कुलभूषण शर्मा आदि ने संबोधित किया।

इस दाैरान महिला महाविद्यालय कनखल से डॉ. प्रेरणा पांडेय, एसएमजेएन पीजी कॉलेज हरिद्वार से डॉ. मोना शर्मा, डॉ. आशा शर्मा, डॉ. लता शर्मा, गुरुराम राय विश्वविद्यालय देहरादून से कनकलता, कोर यूनिवर्सिटी से डॉ. पुष्पा झाबा, धनौरी डिग्री कॉलेज से डॉ. गौरव मिश्रा, रामानुजन संस्कृत महाविद्यालय से डॉ. रेखा आदि उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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