विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए कर्तव्यों का करें निर्वहन : कुलपति
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- Dec 04, 2024
लखनऊ, 04 दिसंबर (हि.स.) । “विकसित भारत@2047'' दृष्टिकोण का उद्देश्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र में रूपांतरित करना है। इसके लिए सतत आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, पर्यावरणीय स्थिरता और सुशासन जैसे विषयों पर तीव्रगति से समुचित कार्यवाही की आवश्यकता है । सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।
ये बातें अर्थशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित होने वाली दो दिवसीय नेशनल सेमिनार “कारपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी और सस्टेनैबल डेवलप्मेंट गोल्स फार विजन विकसित भारत @ 2047” का ब्राउसर लोकार्पण करते समय लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने कही।
उन्होंने कहा कि देश विकसित राष्ट्र होने की ओर अग्रसर है । देश की आकांक्षाएं अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष तक एक विकसित, समावेशी और टिकाऊ अर्थव्यवस्था बनने पर केंद्रित हैं। यह महत्वाकांक्षी दृष्टि एक मजबूत, बहुआयामी दृष्टिकोण की मांग करती है, जिसमें सतत आर्थिक विकास, सामाजिक समानता, पर्यावरणीय प्रबंधन और विभिन्न हितधारकों की सक्रिय भागीदारी शामिल हो। कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) प्रमुख विकासात्मक चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में कॉर्पोरेट संसाधनों, नवाचार और विशेषज्ञता को प्रसारित कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सीएसआर के प्रयास प्रभावी हैं। सीएसआर और एसडीजी भारत को दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों की ओर अग्रसर कर रहे हैं।
इस अवसर पर नेशनल सेमिनार की संयोजिका डॉ. शची राय ने कहा कि यह आयोजन आगामी 14-15 फरवरी को लखनऊ विश्वविद्यालय में होगा, जिसमें देश के विभिन्न भागों के कॉर्पोरेट लीडर, सीएसआर पेशेवर, नीति निर्माता, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन के प्रतिनिधि, उद्यमी , सामाजिक नवप्रवर्तक, शिक्षाविद और शोधकर्ता सम्मलित होकर विकसित भारत के लिए अपने शोधपत्र एवं सिफारिशें प्रस्तुत करेंगे। सेमिनार में आये चयनित शोध पत्रों को यूजीसी केयर जर्नल और सम्पादित पुस्तक में आईएसबीएन के साथ प्रकाशित कराया जायेगा।
आयोजन सचिव डॉ. हरनाम सिंह ने बताया कि यह सेमिनार भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा पोषित है । यह हाइब्रिड मोड में होगा, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने, शिक्षा, स्वास्थ्य सुधार, कौशल विकास, जलवायु और समावेशी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। सेमिनार का मुख्य उद्देश्य केस स्टडीज और अनुभवजन्य शोध पत्रों के माध्यम से भारत में सीएसआर की सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रसार के साथ ही सीएसआर और निजी भागीदारी के माध्यम से भारत को विकसित करने के लिए व्यावहारिक और अभिनव समाधान तलाशना है। अधिक जानकारी के लिए सेमिनार की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं ।
इस अवसर पर कला संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. अरविन्द मोहन एवं विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद सिंह ने कहा कि ऐसे आयोजन पालिसी मेकर्स, उद्योग जगत और शोधकर्ताओं के बीच संवाद का एक मंच प्रदान करते हैं। इस अवसर पर अर्थशास्त्र विभाग की प्रो. रोली मिश्रा, प्रो. अशोक कुमार कैथल, डॉ. शशि लता सिंह, डॉ. अल्पना लाल, डॉ. प्रीति सिंह, डॉ. कामना सेन गुप्ता, डॉ.दिनेश यादव, डॉ. सुचित्रा प्रसाद उपस्थित रहीं। इस सेमिनार की वेबसाइट भी लांच की गई ।
हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय