सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में माघी त्यौहार की धूम
- Admin Admin
- Jan 13, 2025
नाहन, 13 जनवरी (हि.स.)। सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र में सदियों पुरानी लोक संस्कृति और परंपराओं को संजोए रखने वाला चार दिवसीय माघी त्यौहार पूरे उत्साह के साथ शुरू हो चुका है। यह त्यौहार अपनी शाही परंपराओं और भव्यता के लिए जाना जाता है। पहले दिन स्थानीय लोग गेहूं, चावल और सूखे मेवे से पारंपरिक व्यंजन जैसे मूड़ा, तेलवा, शाकुली, अस्कली और तेलपाकी तैयार करते हैं।
पारंपरिक व्यंजनों की महक से महका गिरिपार
माघी त्यौहार के पहले दिन पारंपरिक व्यंजनों का विशेष महत्व है। रात के भोजन में अस्कली और तेलपाकी परोसे जाते हैं, जबकि अगले दिन घेंटा बनाया जाता है। इस क्षेत्र में मूड़ा, तेलवा, शाकुली, सीड़ो, पटांडे, और अस्कली जैसे व्यंजन स्थानीय खानपान का हिस्सा हैं, जो ठंड के मौसम में विशेष आनंद देते हैं।
सदियों पुरानी परंपराओं का निर्वाह
गिरिपार क्षेत्र की 154 पंचायतों में करीब 3 लाख की आबादी यह त्यौहार धूमधाम से मनाती है। माघी को खुड़ियांटी, डिमलांटी, उत्तरांटी और साजा के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन घर-घर में पटांडे और अस्कली जैसे शाकाहारी व्यंजन बनाए जाते हैं। त्यौहार के पहले दिन किसी भी घर में मांसाहारी भोजन नहीं पकाया जाता।
मकर संक्रांति के अवसर पर लोग अपने कुल देवता को अनाज और घी चढ़ाकर परंपराओं का निर्वहन करते हैं। इस मौके पर त्यौहार की खरीदारी के लिए संगड़ाह, शिलाई और आसपास के क्षेत्रों के बाजारों में भीड़ देखी जा रही है।
गिरिपार क्षेत्र के इस उत्सव में परंपरा, संस्कृति और सामाजिक सौहार्द का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। त्यौहार के शुरुआती तीन दिनों में जहां बकरे काटे जाते हैं, वहीं अंतिम दिन शाकाहारी व्यंजन पकाकर सभी एक साथ मिल-जुलकर इसे मनाते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेंद्र ठाकुर