एचईसी को बंद कर और इसकी भूमि की लूट का हो रहा प्रयास : वामदल

रांची, 5 दिसंबर (हि.स.)। मातृ उद्योग एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन) भारत की औद्योगिक आत्मनिर्भरता की रीढ़ है, जिसे भाजपा की नीतिगत उपेक्षा और सुनियोजित विनाश का शिकार है। भाजपा का उद्देश्य संस्थान को पुनर्जीवित करना नहीं है, बल्कि उन्हें बंद कर इनकी जमीन और संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपना का रहा है। यह बातें वामदलों की ओर से संयुक्तद रूप से शुक्रवार को रांची के मेन रोड स्थित भाकपा के राज्य कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कही गई।

प्रेस वार्ता को भाकपा माले के केंद्रीय कमेटी के सदस्ये सुभेंदु सेन, माकपा के सचिव मंडल सदस्या समीर दास और भाकपा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य अजय सिंह शामिल थे।

मौके पर वामदलों के नेताओं ने कहा कि एचईसी को साजिश के तहत जानबूझकर उत्पादनविहीन बनाया गया। 1200 करोड़ रुपये के तैयार रणनीतिक ऑर्डर वर्षों से रोक दिए गए और वर्किंग कैपिटल बंद कर दिया गया। साथ ही एसबीआई की बैंक गारंटी को भी बिना किसी कारण वापस ले लिया गया। इससे यह स्पष्ट संकेत है कि सरकार एचईसी को चलने ही नहीं देना चाहती है।

उन्होंने कहा कि एचईसी परिसर को चरणबद्ध तरीके से उजाड़ा गया और इसके वर्कशॉप के रखरखाव को घटाया गया। साथ ही टाउनशिप सेवाएं खत्म की गईं और मशीनें निष्क्रिय छोड़ दी गईं। वामदलों ने कहा कि एचईसी के मजदूर और अधिकारी 28 महीनों से बिना वेतन पूरा काम कर रहे हैं, फिर भी सरकार पूर्ण मौन है।

वामदलों की मांगें

वामदलों की मुख्य मांगों में एचईसी को 1200 करोड़ रुपये के लंबित ऑर्डर तुरंत जारी करने, एसबीआई की बैंक गारंटी बहाल करने, 1200 करोड़ का आधुनिकीकरण पैकेज देने, मजदूरों को 26 माह का बकाया वेतन देने और एचईसी की भूमि–परिसंपत्तियों का किसी भी रूप में निजी हस्तांतरण पर रोक लगाना है।

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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak

   

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