
कैथल, 22 मार्च (हि.स.)। जल मानव जीवन का अनमोल रतन है। जिसकी सुरक्षा से ही मानव जीवन का भविष्य सुरक्षित है। पृथ्वी के 70 प्रतिशत भाग पर जल का अपार भंडार पाया जाता है। दुर्भाग्य है कि इसमें केवल एक प्रतिशत जल ही पीने योग्य है। यह बात राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हरिगढ़ किंगन में शनिवार काे भारतीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो के पैटर्न सदस्य प्राध्यापक राजा सिंह झींंजर ने कही।
उन्होंने कहा कि एक इंसान को दैनिक आवश्यकताओं के लिए पानी की औसतन 250 से 400 लीटर आवश्यकता है। जिसमें दो से तीन लीटर मीठा पेयजल भी शामिल है। उन्होंने चिंता जताई कि लगातार बढ़ता जल एवं वायु प्रदूषण ताजे मीठे पानी के भंडार को खत्म कर रहा है। झींंजर ने विद्यार्थियों एवं स्टाफ सदस्यों को जल संरक्षण की शपथ दिलाते हुए कहा कि विद्यार्थी ही जल संरक्षण में जागरूकता का महत्वपूर्ण पहलु बन सकता है। विद्यालय प्रधानाचार्या डॉ वीरमती सीड़ा ने कहा कि 25त्न लोगों की पहुंच आज ताजे मीठे पेयजल तक नहीं रही है। जिस कारण 6त्न लोग जल की कमी से मर रहे हैं। डॉ सीड़ा ने कहा कि जल संरक्षण की कड़ी में कारखानों से निकलने वाला दूषित जल, ग्लोबल वार्मिंग, भूजल संरक्षण और जल के व्यर्थ बहाव पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
मौलिक मुख्य अध्यापक मोहिंद्र सिंह ने वातावरण में निरंतर बढ़ती गर्मी को चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा कि हमें पौधारोपण और भूमिगत जल संरक्षण के लिए समुचित प्रबंध करने की ज्यादा जरूरत है। महेंद्र सिंह सीड़ा ने कहा कि घरों में आरो से निकलने वाले वेस्ट जल को बड़े बर्तन में इक_ा कर, बर्तन एवं कपड़े साफ करने में प्रयोग किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में 10 विद्यार्थियों ने एनएचआरसीसीबी की जल संरक्षण क्विज प्रतियोगिता में भाग लेकर अपार प्रतिभा का परिचय दिया। इस अवसर पर तरनजीत कौर, चंद्रभान वर्मा, प्रीतम दास, गौरव सिंगला, सतीश कुमार, ज्योति मेहता, धर्म सिंह, मीनाक्षी मेहता, डीपी सोमवीर, कमलेश रानी, अंजू रानी, विमला शर्मा, देवेंद्रा, बलकार सिंह, अनिल कुमार, दिलबाग सिंह सहित सभी अध्यापक प्राध्यापक उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / मनोज वर्मा