जींद : हरियाणा की पारंपरिक कला को जीवित रखने का  माध्यम है हरियाणवी उत्सव : कृष्ण बेदी

जींद, 6 नवंबर (हि.स.)। चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में बुधवार को दो दिवसीय हरियाणा उत्सव का समापन हुआ। समापन कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के तौर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मंत्री कृष्ण बेदी, दिल्ली विश्वविद्यालय

सीपीडीएच निदेशक प्रो. गीता सिंह, सीआरएसयू वीसी डा. रणपाल सिंह रहे। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मंत्री कृष्ण बेदी ने कहा कि हरियाणवी उत्सव हरियाणा की पारंपरिक कला, संगीत, नृत्य और खानपान को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह लोकगीत, लोकनृत्य, और पारंपरिक त्योहारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाता है ताकि वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ सकें। इस प्रकार के आयोजनों में लोग विभिन्न जाति, धर्म और पृष्ठभूमि से आते हैं। जिससे आपस में भाईचारा और समरसता को बढ़ावा मिलता है।

एक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में यह समाज में एकजुटता का संदेश देता है। उत्सवों में स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को अपना हुनर दिखाने का मौका मिलता है। जिससे वे न केवल अपनी कला को प्रदर्शित करते हैं बल्कि आर्थिक रूप से भी सशक्त होते हैं। निदेशक प्रो. गीता सिंह ने कहा कि हरियाणा उत्सव हरियाणा राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और विकास को मनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह उत्सव न केवल राज्य के लोगों को एकजुट करता है बल्कि राज्य की विविधताओं, ऐतिहासिक धरोहर, कला, संगीत और नृत्य को भी प्रदर्शित करता है।

सीआरएसयू वीसी डा. रणपाल सिंह ने कहा कि हरियाणा उत्सव एक ऐसा आयोजन है, जो इस राज्य की संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली को पूरे देश और दुनिया के सामने लाने का काम करता है। इस उत्सव में लोककला, खाद्य संस्कृति, हस्तशिल्प और खेलों को प्रमुख रूप से प्रदर्शित किया जाता है। यह आयोजन हरियाणा के लोगों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है और युवाओं में इसे बनाए रखने के लिए जागरूकता फैलाता है।

कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने संदेश दिया कि चलचित्रों के अत्यधिक प्रचलन से हरियाणवी गीत व सांग व संस्कृति फीके पडऩे लगे हैं। जिनके रंगों की छटा बरकरार रखने के लिए हरियाणा उत्सव जैसे कार्यक्रमों का आयोजन जरूरी है। प्रो. एसके सिन्हा ने महाभारत के समय से ही हरियाणा का ऐतिहासिक महत्व रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा

   

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